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EPFO ने नए नियमों पर दी सफाई, नौकरी छूटने पर फौरन निकाल सकेंगे 75% रकम, 12 महीने तक लॉक रहेंगे 25% पैसे

EPFO New Rules : ईपीएफओ की तरफ से जारी ताजा बयान में यह भी साफ किया गया है कि ईपीएफ की 100% रकम निकालने की इजाजत किन विशेष परिस्थितियों में दी जाएगी.

EPFO New Rules : ईपीएफओ की तरफ से जारी ताजा बयान में यह भी साफ किया गया है कि ईपीएफ की 100% रकम निकालने की इजाजत किन विशेष परिस्थितियों में दी जाएगी.

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Viplav Rahi
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EPFO Clarification: ईपीएफओ का दावा, नए नियमों से लॉक नहीं होगा पैसा, सुरक्षित होगा भविष्य. (Image : Pixabay)

EPFO New Rules Clarification : एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने उन नए नियमों पर जारी कनफ्यूजन को दूर करने की कोशिश की है, जिन्हें हाल ही में हुई बोर्ड की बैठक में मंजूर किया गया है. इन नए नियमों के तहत नौकरी जाने के बाद प्रॉविडेंट फंड अकाउंट में जमा 100 फीसदी रकम निकालने के लिए वेटिंग पीरियड 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया गया है. जबकि ईपीएस के तहत पेंशन के लिए जमा रकम को निकालने का वेटिंग पीरियड 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने यानी 3 साल किया गया है. ईपीएफओ और मंत्रालय ने कहा है कि नियमों में इस बदलाव का मकसद सदस्यों के पैसों को बेरोजगारी की हालत में भी लॉक करके रखना नहीं, बल्कि लंबी अवधि के दौरान उनकी सामाजिक सुरक्षा को बरकरार रखना है.

12 महीने की सीमा सिर्फ 25% रकम पर लागू

EPFO और सरकार की तरफ से जारी ताजा बयानों में बताया गया है कि नौकरी जाने के बाद EPF में जमा 75% रकम फौरन निकाली जा सकेगी और 12 महीने का वेटिंग पीरियड सिर्फ 25% रकम पर लागू होगा. साथ ही यह भी कहा है कि ईपीएस (EPS) में जमा रकम को निकालने के लिए वेटिंग पीरियड को 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने करने का मकसद मेंबर्स को पेंशन के लिए एलिजिबल बनाए रखना है, जो उन्हीं के हित में है. 

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ईपीएफओ ने इस बारे में जारी बयान के साथ ही साथ कई सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये इस मसले पर उठ रहे सवालों के जवाब देकर गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की है. ईपीएफओ का यह भी कहना है कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में इस बारे में गलत जानकारी और नजरिया पेश किया जा रहा है. लिहाजा सदस्यों को ऐसे दावों पर ध्यान देने की बजाय आधिकारिक जानकारी पर ही भरोसा करना चाहिए. 

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गलत दावों पर भरोसा न करें 

ईपीएफओ ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स में कहा है कि “कई प्लेटफॉर्म पर गलत दावे किए जा रहे हैं कि बेरोजगार होने पर पीएफ नहीं निकाला जा सकता. यह पूरी तरह गलत है. बेरोजगार होने की स्थिति में सदस्य 75% रकम फौरन निकाल सकते हैं और बाकी 25% एक साल बाद.”

नए नियमों के अनुसार, नौकरी जाने की स्थिति में कर्मचारी अब अपने पीएफ अकाउंट में जमा कुल रकम का 75% हिस्सा फौरन निकाल सकते हैं. इस रकम में कर्मचारी के कंट्रीब्यूशन के साथ-साथ एंप्लॉयर (employer) का योगदान और उस पर मिलने वाला ब्याज भी शामिल है. बाकी 25% रकम को 12 महीने बाद निकाला जा सकेगा.

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12 महीने का इंतजार क्यों?

कई सदस्यों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर 25% रकम पर 12 महीने का लॉक-इन पीरियड क्यों लगाया गया. ईपीएफओ ने कहा है कि पहले कई कर्मचारी बार-बार आंशिक निकासी कर लेते थे, जिसके कारण रिटायरमेंट के समय उनके पास बहुत कम बैलेंस बचता था.

श्रम मंत्रालय की प्रवक्ता रिनी चौधरी ने कहा, “नए नियम आपके पैसे को लॉक नहीं कर रहे, बल्कि आपके भविष्य को सुरक्षित बना रहे हैं. पहले कई सदस्य जल्दी पैसे निकालकर पेंशन की एलिजिबिलिटी खो देते थे. अब उनके अधिकार और परिवार के लाभ दोनों सुरक्षित रहेंगे.”

ईपीएफओ के अनुसार, “करीब 50% सदस्यों के पास फाइनल सेटलमेंट के वक्त 20,000 रुपये से भी कम रकम होती थी और 75% के पास 50,000 रुपये से नीचे का बैलेंस. बार-बार निकासी करने की वजह से सदस्य 8.25% ब्याज के कंपाउंडिंग बेनिफिट से वंचित रह जाते थे.”

इसलिए अब नियम में बदलाव किया गया है, ताकि सदस्यों को अपने रिटायरमेंट के समय  एक सम्मानजनक रकम मिल सके.

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किन हालात में निकाल पाएंगे 100% रकम

ईपीएफओ ने यह भी साफ किया है कि पूरी यानी 100% रकम निकालने का विकल्प अब भी बना रहेगा, लेकिन ऐसा कुछ खास हालात में ही किया जा सकेगा. आधिकारिक बयान में इस बारे में स्थिति साफ करते हुए कहा गया है, “55 साल के बाद रिटायरमेंट, पर्मानेंट डिसेबिलिटी (permanent disability), काम करने में असमर्थता (incapacity to work), छंटनी (retrenchment), वॉलंटरी रिटायरमेंट और हमेशा के लिए विदेश जाने जैसे हालात में पीएफ बैलेंस का फुल विदड्रॉल (25% मिनिमम बैलेंस सहित) किया जा सकेगा.”

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अब 36 महीने बाद ही निकाल सकेंगे EPS के पैसे

ईपीएफओ ने यह भी साफ किया है कि एंप्लाईज पेंशन स्कीम (EPS) के तहत जमा रकम को निकालने का वेटिंग पीरियड 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने किया गया है. श्रम मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, “इस बदलाव का मकसद यह पक्का करना है कि सदस्य 10 साल की सर्विस पूरी करें ताकि उन्हें भविष्य में पेंशन का लाभ मिल सके.” विभाग का कहना है कि फिलहाल ज्यादातर सदस्य 4 साल से भी कम की सर्विस के बाद अपनी पेंशन की रकम निकाल लेते हैं. इसके चलते उन्हें पेंशन और फेमिली पेंशन जैसे लॉन्ग टर्म सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिल पाते. इसीलिए अब 36 महीने का वेटिंग पीरियड रखा गया है ताकि सदस्यों की पेंशन पाने की एलिजिबिलिटी बनी रहे और उनके परिवार को भी सुरक्षा मिले.

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पुराने नियमों को किया गया आसान

ईपीएफओ ने अपने बयान में बताया कि पहले आंशिक निकासी के लिए 13 अलग-अलग प्रावधान थे, जिनकी वजह से सदस्यों में कनफ्यूजन रहत था और उनके क्लेम कई बार खारिज हो जाते थे. लेकिन अब इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में समेट दिया गया है ताकि क्लेम को आसान और पारदर्शी ढंग से कम समय में प्रॉसेस किया जा सके.

इसके अलावा अब सदस्यों को सिर्फ 12 महीने की नौकरी पूरी करने के बाद ही आंशिक निकासी की इजाजत होगी, जबकि पहले इसके लिए कई मामलों में 7 साल तक का इंतजार करना पड़ता था. मंत्रालय के अनुसार, यह कदम जिंदगी को आसान बनाने (Ease of Living) की दिशा में एक बड़ा सुधार है, जिससे करोड़ों ईपीएफओ सदस्यों को राहत मिलेगी.

ईपीएफओ फिलहाल करीब 28 लाख करोड़ रुपये के फंड को मैनेज कर रहा है, जिसके जरिये 30 करोड़ से ज्यादा सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा दी जाती है.

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