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Equity vs Gold vs Real Estate : शेयर बाजार, सोना और रियल एस्टेट के 20 साल के प्रदर्शन का विश्लेषण. (AI Generated Image / ChatGPT)
Equity vs Gold vs Real Estate : जब भी निवेश के जरिये पैसे बढ़ाने यानी दौलत में इजाफा करने की बात होती है, तो हर कोई यही जानना चाहता है कि कहां निवेश करने से सबसे बेहतर रिटर्न मिलेगा. शेयर बाजार, सोना या फिर रियल एस्टेट – कौन-सा एसेट क्लास लंबी अवधि में सबसे ज्यादा दौलत बनाता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने इन तीनों निवेश विकल्पों के बीते 20 सालों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया है.
क्यों जरूरी है लंबी अवधि के लिए निवेश
फाइनेंशियल एक्सपर्ट हमेशा कहते हैं कि निवेश लंबी अवधि के लिए करना चाहिए. लेकिन ‘लंबी अवधि’ का मतलब क्या होता है? आमतौर पर जब हम 5, 10 या उससे भी ज्यादा सालों के निवेश की बात करते हैं, तो हम उसे लॉन्ग टर्म मानते हैं. इस दौरान निवेश को मार्केट की उतार-चढ़ाव से उबरने का समय मिलता है और कंपाउंडिंग का फायदा भी. इस रिपोर्ट में हमने शेयर बाजार, सोना और रियल एस्टेट – इन तीनों की परफॉर्मेंस को 1, 3, 5, 10, 15 और 20 साल की अवधि में परखा है. ‘FundsIndia’s Wealth Conversations’ रिपोर्ट के अनुसार, 31 मई 2025 तक इन तीन एसेट क्लासेज का प्रदर्शन कुछ इस प्रकार रहा:
किसने दिया कितना रिटर्न : क्या कहते हैं आंकड़े
अवधि | शेयर बाजार (Nifty 50 TRI) | सोना (रुपये में) | रियल एस्टेट (NHB Residex) |
1 साल | 11.1% (1.1x) | 43.1% (1.4x) | 7.4% (1.1x) |
3 साल | 15.6% (1.5x) | 25.3% (2.0x) | 6.9% (1.2x) |
5 साल | 22.3% (2.7x) | 16.4% (2.1x) | 5.7% (1.3x) |
10 साल | 12.7% (3.3x) | 14.0% (3.7x) | 5.2% (1.7x) |
15 साल | 12.5% (5.8x) | 11.3% (5.0x) | 6.4% (2.5x) |
20 साल | 14.6% (15.2x) | 14.7% (15.5x) | 7.7% (4.4x) |
(स्रोत: FundsIndia Wealth Conversations – जून 2025, डेटा: 31 मई 2025 तक)
बीते 20 साल में किसने सबसे ज्यादा दौलत बनाई
FundsIndia की रिपोर्ट बताती है कि बीते 20 वर्षों में शेयर बाजार ने सोना, रियल एस्टेट और डेब्ट जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों से बेहतर प्रदर्शन किया है. जहां 1 लाख रुपये शेयरों में लगाकर 15.2 लाख रुपये बने, वहीं सोने में वही रकम 15.5 लाख रुपये हो गई. लेकिन रियल एस्टेट में यह रकम सिर्फ 4.4 लाख रुपये ही बन पाई.
जब बात रिटायरमेंट या बच्चों की पढ़ाई जैसे लक्ष्यों की हो, तो सिर्फ आंकड़ों से भरोसा नहीं बनता – अनुभव और ट्रैक रिकॉर्ड पर यकीन करना पड़ता है. और इसमें शेयर बाजार सबसे मजबूत साबित हुआ है.
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शेयर बाजार: उतार-चढ़ाव के बावजूद सबसे फायदेमंद
शेयर बाजार को लेकर कई बार निवेशकों में डर बना रहता है – कभी गिरावट की खबरें, कभी मंदी के डर. लेकिन रिपोर्ट कहती है कि यदि आप धैर्य रखें और घबराएं नहीं, तो बाजार कभी आपको निराश नहीं करेगा.
Nifty 50 TRI ने 20 साल में 14.6% सालाना रिटर्न दिया और निवेश को 15.2 गुना बढ़ा दिया. मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स का प्रदर्शन इससे भी बेहतर रहा – मिडकैप इंडेक्स ने निवेश को 25.3 गुना तक बढ़ाया.
मतलब, अगर आपने एक बार सही विकल्प चुना और उसे लंबे समय तक पकड़े रखा, तो बाजार ने आपको अच्छा रिटर्न दिया.
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सोना: सुरक्षित विकल्प, सीमित रफ्तार
भारतीय घरों में सोने को सिर्फ गहनों के रूप में नहीं, बल्कि सुरक्षित निवेश के रूप में भी देखा जाता है. बीते 20 सालों की बात करें तो सोने ने औसतन 14.7% सालाना रिटर्न दिया और रकम को 15.5 गुना बढ़ा दिया.
हालांकि यह बढ़त कई बार वैश्विक घटनाओं जैसे कोविड महामारी या रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे हालात में आई. यानी सोने में तेजी अचानक आती है, लेकिन वह स्थायी नहीं रहती. इसलिए सोने को आप सुरक्षित निवेश कह सकते हैं, लेकिन वह दौलत बनाने वाला स्थायी साधन नहीं बन पाता.
रियल एस्टेट: घर का सपना, लेकिन धीमा निवेश
हर भारतीय का सपना होता है कि उसका अपना घर हो. लेकिन अगर इसे निवेश के नजरिए से देखा जाए, तो रियल एस्टेट अब वह रिटर्न नहीं दे रहा, जो पहले देता था.
20 सालों में इसका औसत सालाना रिटर्न सिर्फ 7.7% रहा – यानी 1 लाख रुपये सिर्फ 4.4 लाख ही बन पाए. इतनी धीमी रफ्तार से ना तो महंगाई को हराया जा सकता है, ना ही बड़े फाइनेंशियल लक्ष्यों को.
कहां सबसे तेज बढ़ा पैसा?
शेयर बाजार में निवेश 6-7 साल में दोगुना और 10-11 साल में तिगुना हो गया.
सोने में भी 20 साल में 15.5 गुना बढ़त देखने को मिली, लेकिन उसका ग्रोथ सफर उतना स्थिर नहीं रहा.
रियल एस्टेट सबसे धीमा रहा – 20 साल में सिर्फ 4.4 गुना बढ़ा.
यानी धैर्य और सही एसेट चयन से ही लंबे समय में दौलत बनती है.
लॉन्ग टर्म पर फोकस करें
अक्सर हम 1-2 साल के रिटर्न देखकर घबरा जाते हैं. बाजार गिरता है तो बेच देते हैं, सोने में तेजी आती है तो खरीद लेते हैं. लेकिन यह रिपोर्ट सिखाती है कि असली खेल ‘लंबी अवधि’ का है.
शेयर बाजार ने बार-बार साबित किया है कि अगर आपने सोच-समझकर और धैर्य से निवेश किया है, तो गिरावट के बाद भी आपको अच्छा रिटर्न मिला है.
इसलिए चाहे रिटायरमेंट की योजना हो या बच्चों की पढ़ाई का सपना – निवेश का फैसला डेटा से नहीं, सोच से होना चाहिए. और वह सोच होनी चाहिए ‘लंबी अवधि’ की.