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इंडेक्स फंड खरीदें या सीधे स्टॉक्स में लगाएं पैसे? क्या होगी निवेश की बेहतर स्ट्रैटजी

Investing in Index Stocks Vs Index Fund : इंडेक्स फंड में पैसे लगाने की जगह क्यों न अपनी पसंद के इंडेक्स में शामिल सारे स्टॉक्स खरीद लिए जाएं? कितनी सही होगी ये रणनीति.

Investing in Index Stocks Vs Index Fund : इंडेक्स फंड में पैसे लगाने की जगह क्यों न अपनी पसंद के इंडेक्स में शामिल सारे स्टॉक्स खरीद लिए जाएं? कितनी सही होगी ये रणनीति.

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Viplav Rahi
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Investing in Index Stocks Vs Index Fund : इंडेक्स फंड में निवेश करें या सीधे इंडेक्स में शामिल स्टॉक्स को खरीदें? (Image : Pixabay)

Invest in Nifty 50 stocks or Index Fund : इक्विटी म्यूचुअल फंड, खास तौर पर इंडेक्स फंड में निवेश करते समय एक सवाल मन में आ सकता है, “अगर मुझे Nifty 50 पसंद है, तो मैं सीधे उसके 50 स्टॉक्स ही क्यों न खरीद लूं? इंडेक्स फंड की जरूरत ही क्या है?” ऐसा सोचने के पीछे एक दलील ये भी हो सकती है कि जब इंडेक्स फंड, पैसिव फंड्स है, यानी इनमें स्टॉक्स का सेलेक्शन फंड मैनेजर को करना नहीं है, सिर्फ इंडेक्स को फॉलो करना है, तो भला इसके लिए मैनेजमेंट चार्ज या एक्सपेंस रेशियो क्यों खर्च किया जाए? इंडेक्स हमारे सामने है, उसमें शामिल स्टॉक्स सीधे ही खरीद लेते हैं! 

पहली बार में ये बातें बिलकुल सीधी और सही लग सकती हैं, लेकिन ये मसला इतना सीधा नहीं, बल्कि थोड़ा पेचीदा है. आइए आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं कि इंडेक्स के स्टॉक्स खरीदने के मुकाबले इंडेक्स फंड में पैसे लगाना क्यों ज्यादा सुविधाजनक और फायदेमंद साबित हो सकता है.

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इंडेक्स को सीधे नहीं खरीद सकते

सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि Nifty 50 या Sensex खुद कोई चीज नहीं हैं जिन्हें आप खरीद लें. ये बस एक इंडेक्स यानी नंबर हैं. एक बेंचमार्क जो 50 या 30 बड़ी कंपनियों की मिलीजुली चाल को दिखाता है. इसे खरीदने का कोई तरीका नहीं, हां किसी इंडेक्स में शामिल सभी कंपनियों के शेयर्स को उसी अनुपात में खरीदकर किसी इंडेक्स को ‘मिरर’ ज़रूर किया जा सकता है. लेकिन असली झंझट इसी में है.

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इंडेक्स को 'मिरर' करना आसान नहीं

मान लीजिए आपने तय किया कि Nifty 50 के सभी 50 स्टॉक्स खरीदने हैं. अब इसके लिए आपको कम से कम 8-9 लाख रुपयों की जरूरत होगी, क्योंकि तमाम बड़े स्टॉक्स का भारी वेटेज होता है. और सिर्फ पैसा लगाना ही काफी नहीं है:

  • हर स्टॉक के लिए आपको अलग-अलग ऑर्डर लगाने होंगे

  • आप शेयर्स को fractions में नहीं खरीद सकते. इसलिए पोर्टफोलियो में हर शेयर के वेटेज को इंडेक्स के हिसाब से बनाए रखना मुश्किल होगा.

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पोर्टफोलियो की रिबैलेंसिंग भी करनी होगी

इतना ही नहीं, इंडेक्स को एक बार मैच कर लिया तो भी काम खत्म नहीं होगा. इंडेक्स हर कुछ महीनों में बदलता है. नई कंपनियां जुड़ती हैं, पुरानी हटती हैं. हर बार आपको भी अपने इंडेक्स को मिरर करने वाले पोर्टफोलियो में एडजस्टमेंट करने होंगे. यानि ये कोई “One Time Effort” नहीं, बल्कि एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया (ongoing process) है. सोचिए, इसके लिए जितने टाइम, एनर्जी और इनवेस्टमेंट की जरूरत है, वह आप कर पाएंगे?

इंडेक्स फंड यानी कम पैसे में ज्यादा चैन

अब जरा सोचिए, अगर आप अपने पसंदीदा इंडेक्स में निवेश की शुरुआत सिर्फ 500 या 1000 रुपये से भी कर सकें, और वो भी बिना किसी झंझट के, तो क्या ये बेहतर नहीं होगा? इंडेक्स फंड आपके लिए यही काम करता है. इंडेक्स फंड के मैनेजर इंडेक्स को मिरर करने वाला पोर्टफोलियो बनाकर, हर जरूरत के मुताबिक उसे अपडेट करते रहते हैं. न आपको बार-बार लॉगिन करना पड़ता है, न ही हर कंपनी के रिजल्ट देखने की टेंशन होती है और न ही इंडेक्स के सभी स्टॉक्स में निवेश के लिए बड़ी पूंजी लगानी होती है.

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टैक्स के मामले में क्यों बेहतर हैं इंडेक्स फंड

बाजार बदलता है, और उसके साथ इंडेक्स में शामिल कंपनियों का वेटेज भी. अगर आप अपने पोर्टफोलियो को समय पर रिबैलेंस नहीं करते, तो धीरे-धीरे उसका इंडेक्स से तालमेल बिगड़ता जाएगा और ट्रैकिंग एरर बढ़ेगा.

लेकिन अगर आप पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने के लिए किसी स्टॉक को बेचेंगे या नया खरीदेंगे, तो आपको उस पर होने वाले प्रॉफिट पर कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ेगा. लेकिन इंडेक्स फंड में यह काम फंड मैनेजर अपने स्तर पर करते हैं. आपको अपने लेवल पर कुछ बेचने की जरूरत नहीं होती. और जब तक आप अपनी यूनिट्स नहीं बेचते, तब तक उस पर कोई टैक्स भी नहीं लगता. यूनिट को अगर आपने लंबे समय के लिए होल्ड किया हो, तो एक साल में 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है. यानी इंडेक्स फंड टैक्स प्लानिंग के लिहाज से भी ज्यादा फायदेमंद है.

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‘एक्सपेंस रेशियो’ क्या वाकई महंगा है 

दलील तो यह भी दी जा सकती है कि इंडेक्स फंड में भी फीस लगती है. हां, लगती तो है, लेकिन 0.05% से लेकर 1% तक की यह मामूली फीस आपको अपने पैसों के निवेश के लिए प्रोफेशनल मैनेजमेंट, सटीक ट्रैकिंग और टैक्स-फ्रेंडली स्ट्रक्चर जैसी सुविधाएं भी देती है. खुद से कोशिश करने चलेंगे, तो इन सभी पहलुओं को मैनेज करना आसान नहीं होगा और अगर आप फुल टाइम इनवेस्टर नहीं हैं, तो इसके लिए वक्त निकालना भी मुश्किल होगा. 

कुल मिलाकर आप यही पाएंगे कि खुद से इंडेक्स बनाकर उसे मेंटेन करना उतना आसान नहीं होता जितना पहली बार सुनने में लग सकता है. समय, पैसा, सटीक समझ और धैर्य - चारों चाहिए. इनमें से किसी भी मोर्चे पर थोड़ा-सा भी चूके तो आपको बड़ा नुकसान हो सकता है. इंडेक्स फंड में सारा काम अपने आप होता है. आपको बस फंड में पैसे लगाने हैं और बाकी मेहनत फंड मैनेजर पर छोड़ देनी है. लेकिन एक बात जरूर याद रखें. इक्विटी में निवेश चाहे सीधे करें या इंडेक्स फंड के जरिये, मार्केट रिस्क हमेशा रहता है. इसलिए निवेश के बारे में कोई भी फैसला करने से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता को समझें.

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है. निवेश की सिफारिश करना नहीं. म्यूचुअल फंड्स का पिछला रिटर्न आगे भी जारी रहेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं होती. निवेश के फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.)

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