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इस लेख में हम चाणक्य की बातों को आसान तरीके से समझाएंगे, ताकि आप पैसे संभालना सीख सकें और आगे की ज़िंदगी बेहतर बना सकें. (Image: AI Image)
Follow “Chanakya Niti” for your wallet, and you could be set for life : हममें से कई लोग मानते हैं कि प्राचीन ज्ञान बस पुरानी किताबों तक ही सीमित है, जो अब हमारे काम का नहीं रहा. लेकिन ये पूरी तरह सच नहीं है. सोचिए, कोई 2,000 साल पुराना रणनीतिकार भला हमें आज के समय में क्या सिखा सकता है. पिछले हफ्ते का खाना ऑर्डर करते समय की गई गिनती, अचानक की गई खरीदारी, या रात 1 बजे लिया गया कोई ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन? लेकिन सच ये है कि वो हमें बहुत कुछ सिखा सकता है.
चाणक्य, जो अर्थशास्त्र के रचयिता माने जाते हैं, सिर्फ राजनीति में ही निपुण नहीं थे. उन्हें धन, अनुशासन और रणनीति की भी गहरी समझ थी. उनके पैसों से जुड़े विचार आज के समय में भी उतने ही कारगर हैं. दरअसल, ये आज के भागदौड़ भरे, तनावपूर्ण और क्रेडिट पर टिके जीवन में और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाते हैं.
जब हर दिन खर्चे बढ़ते जा रहे हों और बचत जैसे किसी चीज की याद भी ना आए, तब चाणक्य की बातें आज भी बिल्कुल प्रासंगिक लगती हैं. उन्होंने न सिर्फ बेकार पड़े धन को लेकर चेतावनी दी थी, बल्कि यह भी कहा था कि जिंदगी में तैयारी जरूरी है, और हमें लोभ नहीं बल्कि ज्ञान के साथ जीना चाहिए. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी ये बातें आज के समय में हमारे निजी वित्तीय जीवन पर ठीक उसी तरह लागू होती हैं. चाहे हम इमरजेंसी फंड बनाना चाहें, सोच-समझकर निवेश करना हो, या फिर पैसों के अनजाने नुकसान यानी ‘लीक’ को समय रहते रोकना हो.
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इस लेख में हम चाणक्य नीति की उन खास बातों को आसान जुबान में समझने की कोशिश करेंगे जो न सिर्फ आपकी जेब को राहत देंगी, बल्कि आपके भविष्य को भी सुरक्षित और सुखद बना सकती हैं.
अच्छे वक्त में बचत करो, ताकि बुरे वक्त में सहारा मिले
"धनं तु सञ्चयं कुर्यात् कालहेतोः प्रयोजने" यानि जब समय अच्छा चल रहा हो, तब भविष्य की मुश्किल घड़ी के लिए धन जमा कर लेना चाहिए.
चाणक्य का मानना था कि जब जीवन में समृद्धि हो, तब हमें धन जुटाना चाहिए ताकि कठिन समय में परेशानी न हो. आज के दौर में हमारे पास संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग इमरजेंसी के लिए तैयार नहीं रहते. आमदनी बढ़ रही है, लेकिन गंभीर बीमारियों, नौकरी जाने, या आर्थिक संकट जैसी परिस्थितियों के लिए बहुत कम लोगों के पास बचत होती है.
आप कम से कम 3 से 6 महीने के खर्चों जितनी रकम लिक्विड सेविंग (जैसे सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, लिक्विड फंड) में जरूर रखें. अगर आप सजग इंसान हैं, तो ये फंड 12 से 24 महीने तक का भी हो सकता है. जब मुश्किल वक्त आएगा, तो यही आपकी सांस की तरह जरूरी साबित होगा.
मान लीजिए इस दिवाली आपको बोनस मिला है और आप नया मोबाइल लेने का सोच रहे हैं, तो क्यों न उस पैसे को किसी हाई इंटरेस्ट सेविंग अकाउंट या शॉर्ट-टर्म डेट फंड में डाल दिया जाए? या फिर उसे अपने लॉन्ग-टर्म निवेश पोर्टफोलियो का हिस्सा बना लें.
बिना योजना के जीवन, बिना पतवार की नाव जैसा है
"अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमति स्मृतः. यानी जो भविष्य की सोच रखता है और वर्तमान में समझदारी से काम करता है, वही असल में बुद्धिमान है.
चाणक्य की नीतियों में दूरदर्शिता बार-बार सामने आती है. उनका साफ संदेश था कि अगर आप अपने भविष्य के लिए योजना नहीं बनाते, तो स्थिरता और नियंत्रण दोनों खो बैठेंगे. आज इसका मतलब है कि आप रिटायरमेंट, घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई जैसी जरूरी चीजों के लिए वित्तीय योजना बनाएं. अगर ऐसा नहीं करते, तो खर्च हाथ से निकल सकता है और कर्ज बढ़ सकता है.
शुरुआत छोटी करें जैसे कि SIP (Systematic Investment Plan), PPF (Public Provident Fund), या NPS (National Pension System). इनसे आप अपने धन निर्माण की नींव रख सकते हैं.
उदाहरण के तौर पर, अगर आप 25 साल की उम्र में हर महीने 5,000 रुपये की SIP शुरू करें, तो 50 की उम्र तक यह रकम 1 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है, सिर्फ समय और चक्रवृद्धि के जादू से.
बिना ज्ञान के धन, बोझ बन जाता है
"विद्याविहीनः पशुरेव नृपः" यानी बिना ज्ञान के इंसान, भले ही वह कितना भी धनवान क्यों न हो, एक पशु के समान होता है.
चाणक्य ने हमेशा ज्ञान को धन से ऊपर माना. आज की दुनिया में सबसे बड़ा संकट यही है कि लोगों को अपने पैसों की समझ नहीं है. सोशल मीडिया और ‘फाइनेंस इंफ्लुएंसर्स’ अक्सर लोगों को गुमराह कर देते हैं.
लोग बिना सोचे समझे पोंजी स्कीमों में फंस जाते हैं, या दूसरों की सलाह पर पैसा लगाकर अपनी सालों की बचत गंवा बैठते हैं. इसलिए पर्सनल फाइनेंस की समझ रखना अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है.
कोई भी नया निवेश करने से पहले, चाहे क्रिप्टो हो या स्टॉक्स, किसी विशेषज्ञ से सलाह लें, किताबें पढ़ें, या ऑनलाइन कोर्स करें.
छोटे रिसाव भी बड़ी नावें डुबो देते हैं
"सूक्ष्मं अपि न प्रमाद्येत्." यानी छोटी-सी बात को भी नजरअंदाज मत करो क्योंकि यही आगे चलकर बड़ा नुक़सान कर सकती है.
चाणक्य की ये सीख आज के जमाने में रोजमर्रा के छोटे-छोटे खर्चों पर बिल्कुल लागू होती है. हर दिन की ₹300 की कॉफी, चालू नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन जो आप इस्तेमाल नहीं करते, हर हफ्ते मंगाया गया खाना—ये सब मिलकर आपकी जेब में छेद कर सकते हैं.
शायद ये खर्चे छोटे लगते हों, लेकिन पूरे साल में ये हजारों रुपए उड़ा देते हैं. अगर आपने इन पर नियंत्रण पा लिया, तो आप अपनी आर्थिक स्थिति पूरी तरह बदल सकते हैं.
अपनी मासिक खर्चों का हिसाब लगाइए और लाइफस्टाइल से जुड़ी फिजूलखर्ची को कम कीजिए. यही बचा हुआ पैसा आपके लिए निवेश का बीज बन सकता है.
जो पैसा पड़ा रहे, वो बेकार हो जाता है
"स्थावरं च चलं चैव द्विविधं संपदुच्यते.
स्थावरं यः परित्यज्य चलं संपद्यते बुधः." यानी दो तरह का धन होता है - स्थिर और चलायमान. बुद्धिमान वही है जो स्थिर धन को भी चलायमान बना दे.
चाणक्य का मानना था कि धन को सिर्फ जमा करके नहीं रखा जा सकता - उसे काम में लाना चाहिए. आज अगर आपका पैसा सिर्फ सेविंग अकाउंट में पड़ा है, और उस पर 3-4% ब्याज मिल रहा है, तो महंगाई हर साल उसकी असली कीमत कम कर देती है.
अपने पैसे को फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड, सोना या शेयर बाजार जैसे विकल्पों में लगाइए, ताकि वो बढ़ सके. उदाहरण के लिए ₹1 लाख अगर सिर्फ सेविंग अकाउंट में पड़ा है, तो सालाना करीब 3.5% मिलेगा, लेकिन वही पैसा बैलेंस्ड फंड में 9-10% तक कमा सकता है.
अपने धन की रक्षा ऐसे करो जैसे अपनी जान की करते हो
"आयुः कामं यशो धर्मं वित्तं इन्द्रियनिग्रहं
धर्मकार्यं च विज्ञानं एतानि च सतां गुणाः"
यानी स्वास्थ्य, इच्छा, यश, धन, संयम और ज्ञान, यही हैं जीवन की असली पूंजी.
चाणक्य के लिए धन कोई आभूषण नहीं था, बल्कि वह एक ऐसी शक्ति थी जिसकी सुरक्षा बहुत जरूरी है. आज के अनिश्चित डिजिटल युग में धन की रक्षा बीमा और जोखिम प्रबंधन से होती है.
एक दुर्घटना या स्वास्थ्य संकट आपकी पूरी जीवनभर की बचत को पल भर में ख़त्म कर सकता है. इसलिए टर्म प्लान, हेल्थ इंश्योरेंस और साइबर सुरक्षा अब विकल्प नहीं, जरूरी सुरक्षा कवच हैं. एक बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म प्लान के जरिए आप उन खर्चों से पहले ही निपट सकते हैं जो कभी भी आकर आपकी पूरी आर्थिक जमीन हिला सकते हैं.
आज के दौर में जहां EMI, क्रेडिट कार्ड और तात्कालिक सुख हमारी आदत बन चुके हैं, वहां चाणक्य का ज्ञान और भी ज्यादा जरूरी हो गया है. उन्होंने सिर्फ यह नहीं बताया कि धन कैसे कमाया जाए, बल्कि यह भी सिखाया कि उसे कैसे बचाया जाए, बढ़ाया जाए और सम्मान दिया जाए. तो अगली बार जब आप बिना सोचे खर्च करने लगें, या अपने वित्तीय भविष्य की योजना टालने लगें तो खुद से एक सवाल पूछिए. क्या ये फैसला मेरे लिए फायदेमंद है? शायद यही सवाल आपके पूरे आर्थिक भविष्य की दिशा बदल सकता है.