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Gold Prices : जियो-पॉलिटिकल टेंशन और केंद्रीय बैंकों द्वारा अमेरिकी ट्रेजरी से दूर जाने का यह संयोजन सोने की कीमतों में तेजी के पीछे प्रमुख फैक्टर हैं(Image : Freepik)
Should you invest in gold fund to navigate boom in bullion market : गोल्ड के प्रति निवेशकों का आकर्षण लंबे समय से बना हुआ है, खासकर तो ग्लोबल स्तर पर अनिश्चितता के समय में यह और बढ़ जाता है. सोने की MCX पर कीमत 91000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार (Gold Rates Today) पहुंच गई है. सिर्फ इस साल यानी 2025 की बात करें तो इसकी कीमतों में 18 फीसदी की बढ़ोतरी आ चुकी है, जबकि साल 2024 में सोना 27 फीसदी मजबूत हुआ था. इंटरनेशनल स्तर पर, सोना 3,000 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस की महत्वपूर्ण रेंज को पार कर गया है, वहीं कुछ ब्रोकरेज हाउस ने आगे और मजबूती की संभावना जताई है. अब यह सवाल उठता है कि क्या निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ और म्यूचुअल फंड (Gold Mutual Funds) में निवेश करना चाहिए, या यह जल्दबाजी में निर्णय लेने जैसा है?
सोने में रैली जारी रहने की उम्मीद
बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर, गुरविंदर सिंह वासन का कहना है कि सोने में पिछले 15 महीने की प्रभावशाली रैली यह सोचने पर मजबूत करती है कि इत तरह की तेजी किन वजहों से आई है. यह वर्तमान में दुनिया भर में जियो-पॉलिटिकल और आर्थिक अनिश्चितताओं द्वारा संचालित टॉप प्रदर्शन करने वाला एसेट क्लास है. सोने की "सेफ हैवन" वाली स्थिति और मजबूत होती है, क्योंकि विशेष रूप से टैरिफ को लेकर अमेरिकी पॉलिसी, वैश्विक अस्थिरता को बढ़ाती हैं. एक प्रमुख फैक्टर केंद्रीय बैंकों द्वारा रिकॉर्ड तोड़ सोना खरीदना भी है, जिसका उद्देश्य रिजर्व में विविधता लाना और अमेरिकी डॉलर जैसी सिंगल-करेंसी एसेट्स पर निर्भरता कम करना है.
उनका कहना है कि यह ट्रेंड जारी रहने की उम्मीद है, जिससे निकट भविष्य से लेकर लॉन्ग टर्म में सोने की कीमतों में तेजी बनी रहेगी. जियो-पॉलिटिकल टेंशन और केंद्रीय बैंकों द्वारा अमेरिकी ट्रेजरी से दूर जाने का यह संयोजन सोने की कीमतों में तेजी के पीछे प्रमुख फैक्टर हैं. भारत में, विशेष रूप से वेडिंग सीजन के दौरान ज्वैलरी की पारंपरिक मांग, सोने की कीमतों में उछाल को बढ़ाती है. हाल ही में अमेरिकी सरकार की टैरिफ पॉलिसी ने सुरक्षित माने जाने वाले एसेट्स का आकर्षण बढ़ा दिया है. पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता, वैश्विक संघर्ष, केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद और भारत व चीन में रिटेल इंटरेस्ट से प्रेरित सोने की मांग में यह स्ट्रक्चरल शिफ्ट आगे जारी रह सकता है.
गोल्ड फंड में निवेश: क्या अब समय आ गया है?
गुरविंदर सिंह वासन का कहना है कि लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए, सोने से संबंधित एसेट्स हमेशा एक व्यवहारिक विकल्प होते हैं. शॉर्ट टर्म की प्राइस वोलेटिलिटी को कम करने के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) की सलाह है. इंडेक्स फंड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) और फंड ऑफ फंड सहित गोल्ड फंड, व्यापक आर्थिक अनिश्चितता के दौरान पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान कर सकते हैं और महंगाई के खिलाफ सुरक्षा दे सकते हैं.
सोने में कमा लिया मुनाफा तो क्या करें?
निवेशक अपने रिस्क लेने की क्षमता, निवेश की अवधि और वित्तीय लक्ष्य के अनुरूप एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाए रख सकते हैं. एलाइनमेंट सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर पोर्टफोलियो समीक्षा जरूरी है. फाइनेंशियल प्लानर लॉन्ग टर्म एसेट एलोकेशन पर टिके रहने की सलाह दे रहे हैं. अगर आवश्यक हो, तो फाइनेंशियल एडवाइजर के गाइडेंस में रीबैलेंसिंग किया जा सकता है. सोने को आम तौर पर एक लॉन्ग टर्म एसेट क्लास माना जाता है और उसी के अनुसार स्ट्रैटेजी अपनाई जानी चाहिए.
प्रमुख बातें
वैश्विक अनिश्चितता और केंद्रीय बैंक की खरीद के कारण सोने की कीमतें बढ़ रही हैं.
लॉन्ग टर्म निवेशक सोने की स्थिरता और महंगाई के खिलाफ हेजिंग से लाभ उठा सकते हैं.
एसआईपी सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव को मैनेज करने के लिए आदर्श विकल्प है.
एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाए रखें और रीबैलेंसिंग के लिए एक फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श करें.
सोना एक लॉन्ग् टर्म इन्वेस्टमेंट एसेट है. (सोर्स : ब्लूमबर्ग)
(डिस्क्लेमर : हमने यहां एक्सपर्ट की सलाह के आणार पर जानकारी दी है. इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सिफारिश करना नहीं है. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और अपने निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)