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GST काउंसिल की बैठक 3-4 सितंबर को, 5% और 18% स्लैब का रास्ता होगा साफ, हेल्थ-लाइफ इंश्योरेंस हो सकता है टैक्स फ्री

GST Council Meet: जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर को नई दिल्ली में होगी. इसमें मुख्य रूप से 5% और 18% टैक्स स्लैब रेट बनाने और हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी फ्री करने पर फैसले होने की उम्मीद है.

GST Council Meet: जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर को नई दिल्ली में होगी. इसमें मुख्य रूप से 5% और 18% टैक्स स्लैब रेट बनाने और हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी फ्री करने पर फैसले होने की उम्मीद है.

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FE Hindi Desk
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GST Reform, GST Council Meeting, GST Council Announcements, GST Council 56th Meeting

सात दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में बताया था कि दीवाली तक GST में अगला बड़ा सुधार होगा. Photograph: (Image : IE File)

GST Council to hold 56th meeting on September 3-4 in New Delhi: नेक्स्ट-जेनरेशन GST रिफार्म्स को अक्टूबर की शुरुआत तक लागू करने की तैयारी तेज हो गई है. इसी कड़ी में GST काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर को नई दिल्ली में होगी. शुक्रवार देर रात जारी नोटिस में, जिस पर राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव के हस्ताक्षर हैं, बताया गया कि बैठक दो दिनों तक चलेगी. नोटिस में यह भी कहा गया है कि काउंसिल की बैठक से एक दिन पहले, यानी 2 सितंबर को राज्यों और केंद्र के अधिकारियों की बैठक होगी.

बैठक से पहले पिछले दो दिनों में राज्यों के मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य मंत्री राजधानी में आए और उन्होंने मंत्रियों के समूह (GoMs) की बैठक में हिस्सा लिया. इस सप्ताह दर-सुधार (rate rationalisation) पर मंत्रीमंडल ने GST सुधार प्रस्ताव को सैद्धांतिक समर्थन दिया था, और अब इस पर हर आइटम की विस्तृत चर्चा GST काउंसिल की बैठक में होगी.

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काउंसिल का नेतृत्व केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) करेंगी. बैठक में 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, जिनमें दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं, हिस्सा लेंगे. मुख्य चर्चा का विषय आम उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स दर कम करना और हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस जैसी सेवाओं को GST से मुक्त करना है, जिससे आम लोगों को वित्तीय राहत मिलेगी.

राज्यों ने पहले ही दो मुख्य चिंताएँ उठाई हैं — पहला, क्या राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए कोई संस्थागत व्यवस्था होगी; और दूसरा, क्या GST दरों में कटौती का फायदा सीधे आम व्यक्ति तक पहुंचेगा. उम्मीद है कि राज्यों की ये चिंताएँ आगामी GST काउंसिल की बैठक में उठेंगी, क्योंकि विभिन्न टैक्स स्लैब पर विस्तार से चर्चा होगी.

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सात दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में बताया था कि GST प्रणाली में अगला बड़ा सुधार चरण दीवाली तक लागू किया जाएगा. इसका मकसद आम आदमी, छोटे उद्यमियों और MSME को टैक्स बोझ कम करके राहत देना है. केंद्र ने सुझाव दिया है कि मौजूदा कई स्लैब — 5%, 12%, 18% और 28% — को बदलकर केवल दो मुख्य स्लैब — 5% और 18% — रखा जाए, साथ ही पाप और हानिकारक वस्तुओं के लिए 40% विशेष दर लागू की जाए.

पिछले दो दिनों, 20 और 21 अगस्त को, राज्यों के मंत्री, मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री दिल्ली में एकत्र हुए ताकि केंद्र की GST सुधार योजना पर चर्चा की जा सके. 20 अगस्त को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने GST काउंसिल द्वारा गठित मंत्रियों के समूह (GoM) को कंपंसेशन सेस, हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस, और दर सुधार पर अपने विचार प्रस्तुत किए.

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पहले दिन दो GoM (मंत्रियों के समूह) की बैठकें हुईं — एक कंपंसेशन सेस पर और दूसरी लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर. सभी सदस्यों ने आम तौर पर इस प्रस्ताव का समर्थन किया कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर वर्तमान 18% GST हटाकर शून्य कर दी जाए. कुछ राज्यों ने यह चिंता जताई कि GST में कटौती का फायदा कंपनियों तक ही सीमित रह सकता है, जबकि कुछ ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों पर असर के बारे में पूछा. अनुमान है कि व्यक्तियों के लिए इंश्योरेंस पर GST छूट से सालाना लगभग 9,700 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है.

दूसरे दिन, 21 अगस्त को, दर-सुधार (Rate Rationalisation) समूह की बैठक हुई और इसने केंद्र के GST सुधार प्रस्ताव को सैद्धांतिक समर्थन दिया. राज्यों ने कहा कि वे “जनहितैषी” प्रस्ताव का विरोध नहीं करते, लेकिन इससे राजस्व नुकसान हो सकता है, जिससे उनके पास अपने राज्यों में आम लोगों पर खर्च करने के लिए कम संसाधन रहेंगे.

राज्यों ने कहा कि वे “जनहितैषी प्रस्ताव के साथ ठीक हैं”, लेकिन इस पर आगे बढ़ने से पहले राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई का तंत्र स्पष्ट होना चाहिए. GST सुधार योजना के तहत 12% और 28% स्लैब को हटाया जाएगा. लेकिन राज्यों की मुख्य चिंता यह है कि अधिकतर वस्तुएं जैसे सफेद सामान और छोटी कारें, मौजूदा 28% स्लैब से 18% स्लैब में आ जाएंगी, जिससे राजस्व नुकसान हो सकता है.

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केंद्र योजना के अनुसार 5-7 पाप, हानिकारक और लक्जरी आइटमों पर 40% विशेष दर लागू की जाएगी, जिसमें कंपंसेशन सेस शामिल होगा. कुछ राज्यों ने यह भी सुझाव दिया कि GST कानून की धारा 9(1) में बदलाव किया जाए, ताकि वर्तमान 40% सीमा (20% CGST + 20% SGST) से अधिक अतिरिक्त शुल्क लगाया जा सके.

राज्यों की राजस्व हानि (revenue loss) और कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी (profiteering by manufacturers and companies) की संभावना पर अलग-अलग राय और टिप्पणियाँ दर-सुधार (Rate Rationalisation) समूह की रिपोर्ट में शामिल होंगी, जो केंद्र के प्रस्ताव के साथ GST काउंसिल को भेजी जाएगी.

प्रस्तावित GST सुधारों से खपत बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि कई सामानों पर टैक्स दरें कम की जा सकती हैं. इनमें शामिल हैं: रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, पैकेज्ड और ब्रांडेड फूड आइटम जैसे फ्रूट जूस, बटर, चीज़, कंडेंस्ड मिल्क, मेवे, खजूर, सॉसेज और मेडिकल आइटम जैसे मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, गैज, बैंडेज, डायग्नोस्टिक किट.

प्रस्ताव के अनुसार, 12% स्लैब में मौजूद 99% आइटम 5% स्लैब में चले जाएंगे, जबकि 28% स्लैब के 90% सामान और सेवाएँ 18% स्लैब में आएंगी.

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आम इस्तेमाल की वस्तुएँ शून्य या 5% स्लैब में बनी रहेंगी, जबकि अन्य वस्तुओं पर 18% मानक दर लागू होगी. पाप, हानिकारक और अल्ट्रा-लक्जरी आइटमों पर 40% टैक्स दर लागू होगी.

प्रस्तावित GST सुधार से कार खरीदने वालों, खासकर छोटी कारों के खरीदारों को राहत मिलने की संभावना है. सरकार छोटे और बड़े कारों के लिए टैक्स दर में अलगाव करने पर विचार कर रही है. वर्तमान में छोटी कारों पर 28% GST और 1-3% छोटे सेस लगे हैं, जिन्हें नई व्यवस्था में 18% स्लैब में लाया जा सकता है, जबकि बड़ी लक्ज़री कारें और SUVs विशेष 40% टैक्स दर वाले वर्ग में आ सकती हैं.

हालांकि, कुछ पाप वस्तुओं (sin goods) पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जा सकता है ताकि वर्तमान टैक्स स्तर बनाए रखा जा सके. उदाहरण के लिए, तंबाकू जैसे पाप उत्पाद पर वर्तमान में 88% टैक्स लगता है, और केंद्र संभवतः 40% से अधिक अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (excise duty) लगाने का प्रस्ताव करेगा. दूसरी लक्ज़री वस्तुओं, जैसे बड़ी SUVs और लक्ज़री कारों पर भी 40% से अधिक अतिरिक्त टैक्स लगाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए GST संबंधित कानूनों में संशोधन की आवश्यकता होगी.

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