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Income Tax Scrutiny : इनकम टैक्स विभाग आपके हर बड़े लेनदेन पर AI से नज़र रख रहा है. (Image : Pixabay)
Income Tax Department Using AI for Scrutiny:इनकम टैक्स विभाग लगातार टैक्स चोरी की निगरानी का दायरा बढ़ा रहा है. टैक्स अधिकारियों ने टैक्स नियमों का पालन बेहतर करने और वित्तीय व्यवहार में गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा विश्लेषण का इस्तेमाल बढ़ा दिया है. टैक्स जानकारों का कहना है कि अब यदि आप बड़ी रकम निवेश करते हैं, प्रॉपर्टी खरीदते हैं, या क्रेडिट कार्ड पर अपनी आमदनी से ज़्यादा खर्च करते हैं, तो इन सभी लेनदेनों पर टैक्स विभाग की नज़र है.
सीए (डॉ.) सुरेश सुराणा के अनुसार, बैंक, म्यूचुअल फंड कंपनियां, रजिस्ट्रार और अन्य वित्तीय संस्थान हर साल विभाग को ‘स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (SFT)’ रिपोर्ट देते हैं, जिसमें आपके हाई वैल्यू लेन-देन की जानकारी होती है. अब इस डेटा को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR), टीडीएस, जीएसटी और विदेशी ट्रांजैक्शन के साथ मिलाया जा रहा है – और इसी तरह यह तय किया जा रहा है कि आपकी आय और खर्चों में कोई अनियमितता है या नहीं.
ट्रेंड एनालिसिस और गड़बड़ी का पता लगाने के लिए AI का इस्तेमाल
सुराणा ने बताया कि AI टूल्स का इस्तेमाल करदाता के इस साल और पिछले सालों के इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) का तुलनात्मक विश्लेषण करने के लिए किया जाता है. आय के खुलासे, क्लेम की गई छूट, या आय के स्रोतों में पैटर्न की पहचान करके और महत्वपूर्ण बदलावों या असंगतियों का पता लगाकर, यह सिस्टम संभावित रूप से कम आय दिखाने या टैक्स चोरी के मामलों को चिह्नित करने में सक्षम है. सुराणा ने आगे कहा कि यह डेटा-आधारित तरीका विभाग की जोखिम-आधारित आकलन करने की क्षमता को बढ़ाता है और समय के साथ-साथ करदाता के व्यवहार में अधिक पारदर्शिता और स्टेबिलिटी सुनिश्चित करता है.
AI आपके नए-पुराने टैक्स रिटर्न का विश्लेषण कर रहा है
इनकम टैक्स विभाग ने अब टैक्स की जांच को डेटा पर आधारित और जोखिम के हिसाब से कर दिया है. अब AI टूल्स यह जांच सकते हैं कि इस साल आपका इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) पिछले सालों के रिटर्न से कितना मेल खाता है. क्या आपने कम आय दिखाई है या ज़्यादा छूट का दावा किया है? अब इन सभी का विश्लेषण अपने आप हो रहा है. इससे टैक्स विभाग कम समय में यह तय कर सकता है कि किस मामले को जांच के लिए चुना जाना चाहिए.
इसके साथ ही, अब ज़्यादातर आकलन ‘फेसलेस’ यानी बिना मिले-जुले हो रहे हैं – करदाताओं को अधिकारियों से आमने-सामने मिलने की ज़रूरत नहीं है – सारा काम ऑनलाइन और सिस्टम के माध्यम से हो रहा है. इसमें AI की मदद से मामलों के चयन की प्रक्रिया और भी निष्पक्ष और पारदर्शी होती जा रही है.
अब डिजिटल दुनिया में भी एंट्री करेगा टैक्स विभाग
2026 से लागू होने वाले नए इनकम टैक्स बिल में विभाग को और भी ज़्यादा ताकत मिलेगी. अब अगर अधिकारियों को शक होता है कि आपने किसी डिजिटल माध्यम से टैक्स की चोरी की है, तो वे आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स, ईमेल, बैंकिंग ऐप्स, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और यहां तक कि ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म भी चेक कर सकते हैं.
नए बिल की धारा 247 के अनुसार, यदि आवश्यक हो, तो अधिकारी पासवर्ड तोड़कर भी डेटा एक्सेस कर सकते हैं. एक नया कानूनी शब्द “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” भी जोड़ा गया है, जिसमें क्लाउड स्टोरेज, डिजिटल वॉलेट, ईमेल सर्वर और अन्य प्लेटफॉर्म शामिल होंगे.
सावधानी ही सबसे बड़ी समझदारी है
इन बदलावों के बाद, करदाताओं को अब अपने हर वित्तीय लेनदेन और डिजिटल उपस्थिति के बारे में बहुत सावधान रहना होगा. पारदर्शी रिकॉर्ड रखना और टैक्स नियमों का पालन करना अब सिर्फ एक विकल्प नहीं रह गया है, यह एक आवश्यकता बन गया है. AI के आने से, इनकम टैक्स प्रणाली अब भविष्य कहने वाली, धोखाधड़ी रोकने वाली और बेहद सटीक हो गई है – यानी ‘प्रेडिक्टिव’, ‘प्रिवेंटिव’ और ‘प्रेसिजन-बेस्ड’. ऐसी स्थिति में, अब छोटी से छोटी गलती भी टैक्स विभाग की नज़रों से नहीं बच पाएगी.