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ITR Filing 2025 key changes : इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से पहले नए नियमों और बदलावों को जानना जरूरी है. (Image : Freepik)
ITR Filing 2025 New Rules : इनकम टैक्स विभाग ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए सभी आईटीआर फॉर्म्स को नोटिफाई कर दिया है. इस बार सरकार ने खासकर कैपिटल गेन (Capital Gains) की रिपोर्टिंग और आय के खुलासे (Disclosure) से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं. इन बदलावों से अब शेयर या प्रॉपर्टी बेचकर हुई कमाई की जानकारी देना पहले की तुलना में आसान हो गया है.
अगर आपने पिछले साल शेयर, म्यूचुअल फंड या प्रॉपर्टी बेचकर कोई मुनाफा कमाया है और अब इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह प्रक्रिया पहले से ज्यादा सरल हो गई है. खासकर सैलरी पाने वाले, छोटे कारोबारी और संपत्ति बेचने वालों को इस बार आईटीआर फॉर्म 1 में कई राहतें मिली हैं.
कैपिटल गेन पर छूट की सीमा बढ़ी
पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिस्टेड इक्विटी और म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की छूट सीमा बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दी थी. पहले जिन लोगों की इस श्रेणी में आय होती थी, उन्हें भले ही टैक्स न देना पड़े, फिर भी उन्हें जटिल ITR-2 या ITR-3 फॉर्म भरने पड़ते थे. इससे छोटे निवेशकों को परेशानी होती थी.
अब अगर आपकी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से आय साल भर में 1.25 लाख रुपये या उससे कम है, तो आप सीधे ITR-1 (सहज) या ITR-4 (सुगम) फॉर्म भर सकते हैं. इससे सैलरी पाने वाले और छोटे व्यापारियों को काफी राहत मिलेगी जो थोड़ी-बहुत निवेश से भी कमाई करते हैं.
प्रॉपर्टी बेचने वालों के लिए दो टैक्स विकल्प
अगर आपने 23 जुलाई 2024 से पहले कोई मकान या जमीन खरीदी थी और अब उसे बेच रहे हैं, तो आपके पास दो टैक्स विकल्प हैं:
12.5% टैक्स चुकाएं, लेकिन इसमें आपको इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा.
या फिर 20% टैक्स दें, जिसमें इंडेक्सेशन का लाभ मिल सकता है.
ITR-2 फॉर्म में अब एक नया कॉलम जोड़ा गया है जिसमें 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की संपत्ति बिक्री की अलग-अलग रिपोर्टिंग करनी होगी. इससे इंडेक्सेशन और टैक्स रेट के नए नियमों को फॉर्म में बेहतर ढंग से समायोजित किया गया है.
बायबैक पर भी स्पष्ट रिपोर्टिंग की जरूरत
अगर आपने पिछले साल 1 अक्टूबर के बाद किसी कंपनी के शेयर बायबैक से आय प्राप्त की है, तो उसे अब 'अन्य स्रोत से आय' और 'शून्य मूल्य प्राप्त पूंजीगत लाभ' के तहत भी दिखाना जरूरी हो गया है.
नेटवर्थ रिपोर्टिंग की सीमा अब 1 करोड़ रुपये
अब तक अगर किसी व्यक्ति के पास कुल संपत्ति 50 लाख रुपये से ज्यादा होती थी, तो उन्हें अपने घर, कार, लोन आदि की पूरी जानकारी आईटीआर में देनी पड़ती थी. लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है. यानी सिर्फ उन्हीं लोगों को डिटेल देनी होगी जिनकी कुल संपत्ति 1 करोड़ से ज्यादा है. इससे मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स का बोझ थोड़ा घटेगा.
कौन सा ITR फॉर्म किसके लिए?
ITR-1 (सहज): सैलरी, ब्याज और एक घर से आय, कुल सालाना आय 50 लाख रुपये तक
ITR-4 (सुगम): छोटे व्यापारी, प्रोफेशनल्स जो अनुमानित कर व्यवस्था के तहत आते हैं
ITR-2: सैलरी नहीं है, लेकिन म्यूचुअल फंड या शेयर से आय है
ITR-3: व्यापार या प्रोफेशन से आय
ITR-5, 6, 7: फर्म, कंपनियां, ट्रस्ट आदि के लिए
लास्ट डेट और लेट फीस
आम टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 है. समय पर रिटर्न न भरने पर लेट फीस लग सकती है. आईटीआर फाइलिंग अब सैलरीड क्लास और छोटे निवेशकों के लिए पहले से ज्यादा आसान हो गई है. खासतौर पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की छूट और सरल ITR फॉर्म भरने की सुविधा से राहत मिली है. साथ ही प्रॉपर्टी बेचने वालों के लिए भी टैक्स चुकाने के दो विकल्प उपलब्ध हैं, जिससे वे अपनी टैक्स प्लानिंग बेहतर तरीके से कर सकते हैं.