/financial-express-hindi/media/media_files/2025/07/09/itr-filing-form-26as-ais-tis-chatgpt-2025-07-09-18-01-33.jpg)
ITR Filing 2025 : आईटीआर फाइलिंग को आसान बनाने के लिए समय रहते सभी दस्तावेज तैयार रखना जरूरी है. (AI Generated Image)
Income Tax Return Filing Deadline and Required Documents : इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन नजदीक आ चुकी है. ऐसे में आईटीआर फाइलिंग में काम आने वाले सभी अहम दस्तावेज समय से तैयार रखना बेहद जरूरी है. डेडलाइन सिर पर आ जाने के बाद आखिरी समय पर दस्तावेज जुटाने चलेंगे, तो न सिर्फ बेवजह का टेंशन बढ़ेगा, बल्कि गलती होने या डेडलाइन मिस होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इसलिए अभी से सारे जरूरी दस्तावेजों को जुटा लें और वक्त रहते अपना रिटर्न फाइल कर दें.
क्या है रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन
सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट इयर 2025-26) के लिए उन टैक्सपेयर्स को थोड़ी राहत दी है जिनके अकाउंट्स का ऑडिट नहीं होता. इनके लिए ITR फाइल करने की अंतिम तारीख पहले ही बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 की जा चुकी है. वहीं, जिनके अकाउंट्स का ऑडिट जरूरी है, उनके लिए पुरानी डेडलाइन ही लागू है. 15 सितंबर की डेडलाइन में अब ज्यादा समय बाकी नहीं है. इसलिए यह समझना जरूरी है कि कौन-कौन से दस्तावेज आपको पहले से तैयार रखने होंगे ताकि रिटर्न फाइलिंग में कोई मुश्किल न हो.
फॉर्म 16 यानी सैलरी से काटे गए टैक्स का प्रूफ
अगर आप सैलरी पर काम करने वाले कर्मचारी हैं तो आपके लिए फॉर्म 16 (Form 16) सबसे अहम दस्तावेज है. एंप्लॉयर सैलरी देने से पहले काटे गए टीडीएस (TDS) या किसी अन्य टैक्स का प्रूफ फॉर्म 16 के रूप में आपको मुहैया कराते हैं. इसमें आपकी सैलरी, भत्तों और कटे हुए टैक्स की पूरी डिटेल होती है. हालांकि ITR पोर्टल पर ज्यादातर डिटेल पहले से भरी होती है, लेकिन फॉर्म 16 से आप क्रॉस चेक कर सकते हैं कि सारी जानकारी सही है या नहीं.
कैपिटल गेन स्टेटमेंट
अगर आपने साल के दौरान शेयर, म्यूचुअल फंड या अन्य फाइनेंशियल एसेट बेचे हैं तो उनकी डिटेल ITR में देना जरूरी है. इसके लिए आपको अपने ब्रोकर या म्यूचुअल फंड हाउस से कैपिटल गेन स्टेटमेंट लेना चाहिए. इस स्टेटमेंट में साफ-साफ बताया जाता है कि आपकी कमाई शॉर्ट टर्म है या लॉन्ग टर्म, जिससे सही टैक्स कैलकुलेशन और रिपोर्टिंग करना आसान हो जाता है.
AIS और फॉर्म 26AS
इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट से एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement - AIS), टैक्सपेयर इंफॉर्मेशन समरी (TIS) और फॉर्म 26AS डाउनलोड करना जरूरी है. ये दस्तावेज आपकी इनकम और सोर्स पर कटे टैक्स का मिलान करने में मदद करते हैं. AIS में बैंक अकाउंट से मिले ब्याज, डिविडेंड, किराए, सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन और विदेशी रेमिटेंस जैसी जानकारी भी होती है. इन सबको चेक करके आप यह पक्का कर सकते हैं कि रिटर्न भरते समय कोई भी इनकम छूट न जाए.
इंटरेस्ट सर्टिफिकेट और बैंक स्टेटमेंट
अगर आपने बैंक, पोस्ट ऑफिस या किसी और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में डिपॉजिट पर ब्याज कमाया है तो उसका सर्टिफिकेट लेना जरूरी है. इसके साथ ही साल भर का बैंक स्टेटमेंट डाउनलोड करना भी बेहतर होता है. कई बार कुछ इनकम AIS या फॉर्म 26AS में नहीं दिखती, ऐसे में बैंक स्टेटमेंट से सही-सही जानकारी मिल जाती है, ताकि आप उसे रिटर्न में शामिल कर सकें.
विदेश से आय और अनलिस्टेड शेयर
अगर आपके पास किसी विदेशी कंपनी के शेयर हैं, विदेश से इनकम हो रही है या किसी विदेशी बैंक अकाउंट में आप साइनिंग अथॉरिटी हैं, तो ITR फाइल करना आपके लिए जरूरी हो जाता है. इस दायरे में आने वाले लोगों के लिए कुल इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम होने पर भी रिटर्न भरना कंपल्सरी है. अगर आप पर इनमें से कोई बात लागू होती है, तो इससे जुड़े सभी जरूरी कागजात पहले से तैयार रखें ताकि रिटर्न भरने में कोई डिटेल छूट न जाए.
टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट और खर्च की रसीदें
जो लोग पुरानी टैक्स रिजीम के तहत ITR फाइल करना चाहते हैं, उन्हें टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट और खर्च के प्रूफ जुटाने होंगे. इसमें 80C, 80CCD (1B), 80D, 80DD और 80TTA जैसे सेक्शन के तहत मिलने वाली छूट शामिल है. इनके अलावा HRA और LTA जैसी छूट का फायदा लेने के लिए भी रसीदें, रेंट एग्रीमेंट और सर्टिफिकेट्स भी जरूरी हैं.
PAN, आधार और बैंक अकाउंट डिटेल
ऊपर बताए गए तमाम दस्तावेजों और डिटेल्स के अलावा रिटर्न भरने के लिए पैन (PAN), आधार (Aadhaar) और बैंक अकाउंट का डिटेल होना तो जरूरी है ही. आपके पास बैंक का अकाउंट नंबर और IFSC कोड होना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इन्हीं डिटेल के आधार पर टैक्स रिफंड भेजा जाता है. अगर ये जानकारी सही और तैयार रहे तो रिटर्न फाइलिंग का काम बिना किसी रुकावट के पूरा हो जाएगा.