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ITR Filing: क्या है फॉर्म 26AS, AIS और TIS का मतलब? नोटिस से बचना है तो रिटर्न भरते समय ठीक से करें इनका इस्तेमाल

ITR Filing : फॉर्म 26AS, AIS और TIS को अच्छी तरह समझ लेंगे, तो न सिर्फ आपका रिटर्न ठीक से फाइल होगा, बल्कि नोटिस मिलने का डर भी कम हो जाएगा.

ITR Filing : फॉर्म 26AS, AIS और TIS को अच्छी तरह समझ लेंगे, तो न सिर्फ आपका रिटर्न ठीक से फाइल होगा, बल्कि नोटिस मिलने का डर भी कम हो जाएगा.

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Viplav Rahi
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ITR Filing : फॉर्म 26AS, AIS और TIS को अच्छी तरह समझना और चेक करना जरूरी है. (AI Generated Image)

ITR Filing : What is Form 26AS, AIS and TIS : इनकम टैक्स रिटर्न भरने का समय आते ही कई लोगों के मन में एक ही सवाल उठता है – कौन-कौन से दस्तावेज देखने जरूरी हैं और उन्हें कैसे समझें? खासतौर पर फॉर्म 26AS, AIS और TIS का जिक्र आने पर कई बार लोग कंफ्यूज हो जाते हैं. लेकिन सच यह है कि ये तीनों दस्तावेज आपकी टैक्स फाइलिंग को आसान और सटीक बनाने के लिए बेहद जरूरी हैं. अगर आप इन तीनों के बारे में अच्छी तरह जानते हैं और इनका सही ढंग से इस्तेमाल करते हैं,  तो न सिर्फ आपका रिटर्न सही तरीके से फाइल होगा, बल्कि किसी भी तरह की गलती होने या बाद में नोटिस मिलने की आशंका भी कम हो जाएगी.

क्या होता है फॉर्म 26AS?

फॉर्म 26AS एक तरह से टैक्स पासबुक जैसा होता है, जिसमें पूरे फाइनेंशियल ईयर की टैक्स से जुड़ी जानकारी होती है. इसमें आपको यह दिखेगा कि आपकी आमदनी पर कितना टीडीएस (TDS) कटा है, अगर आपने किसी से प्रॉपर्टी खरीदी है तो उस पर काटा गया TDS, बैंक के ब्याज पर कटा TDS या किसी ट्रांजैक्शन पर टीसीएस (TCS) लगा है तो उसकी जानकारी भी इसमें दी होती है.

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पहले इस फॉर्म में कई तरह की दूसरी जानकारी भी शामिल होती थी, लेकिन असेसमेंट ईयर 2023-24 से अब इसमें सिर्फ TDS और TCS से जुड़ा डेटा ही TRACES पोर्टल पर दिखाया जाता है. बाकी सारी जानकारी अब AIS यानी एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) में दी जाती है, जिसे इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर देखा जा सकता है.

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AIS यानी आपके फाइनेंशियल लेनदेन की पूरी तस्वीर

AIS यानी एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) फॉर्म 26AS से कहीं ज्यादा डिटेल्ड होता है. इसमें न सिर्फ आपकी टैक्स से जुड़ी जानकारियां होती हैं, बल्कि आपके इनवेस्टमेंट, डिविडेंड, सेविंग बैंक अकाउंट के ब्याज, रेंटल इनकम, म्यूचुअल फंड, शेयर, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री, यहां तक कि विदेश भेजे गए पैसे और जीएसटी टर्नओवर जैसी चीजें भी शामिल होती हैं.

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AIS का मकसद टैक्सपेयर को उनकी पूरी फाइनेंशियल प्रोफाइल एक ही जगह पर मुहैया करा देना है. खास बात यह है कि इसमें टैक्सपेयर को फीडबैक देने की सुविधा भी दी जाती है. यानी अगर आपको किसी जानकारी में गलती लगती है, तो आप ऑनलाइन फीडबैक देकर उसे सही करवा सकते हैं.

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TIS यानी फाइनेंशियल जानकारी की समरी 

AIS के साथ-साथ आपको TIS यानी टैक्सपेयर इनफॉर्मेशन समरी (Taxpayer Information Summary) भी दी जाती है. यह आपकी सारी फाइनेंशियल डिटेल्स का एक प्रकार का सारांश होता है. इसमें दिखाया जाता है कि सिस्टम ने किस जानकारी को प्रोसेस किया है और आपके फीडबैक देने के बाद क्या वैल्यू मंजूर की है.

TIS में जानकारी कैटेगरी वाइज दी जाती है – जैसे सैलरी, ब्याज, डिविडेंड वगैरह. इसे इस तरह तैयार किया गया है कि अगर आप अपने रिटर्न भरते समय प्री-फिल्ड डेटा इस्तेमाल करना चाहें, तो TIS की मदद से वो डेटा पहले से फॉर्म में आ जाए और आपकी फाइलिंग और आसान हो जाए.

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AIS और फॉर्म 26AS में क्या फर्क है?

कई लोग सोचते हैं कि जब दोनों में टैक्स से जुड़ी जानकारी है, तो इनमें फर्क क्या है? फर्क यह है कि फॉर्म 26AS में केवल TDS और TCS से जुड़ी बातें होती हैं, जबकि AIS में आपके तमाम फाइनेंशियल लेनदेन की झलक मिलती है.

AIS में आपकी सैलरी, बैंक ब्याज, डिविडेंड, प्रॉपर्टी के सौदे, शेयरों की खरीद-बिक्री, विदेश ट्रांसफर और कई तरह की दूसरी जानकारियां होती हैं जो फॉर्म 26AS में नहीं दिखाई देतीं. इसीलिए रिटर्न फाइल करने से पहले AIS और TIS को ध्यान से चेक करना बेहद जरूरी होता है.

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सही टैक्स फाइलिंग के लिए सही जानकारी

अगर आप चाहते हैं कि आपका इनकम टैक्स रिटर्न बिना किसी गलती के भरा जाए और बाद में नोटिस मिलने जैसी परेशानियों से बचा जा सके, तो Form 26AS, AIS और TIS को अच्छे से समझना और चेक करना जरूरी है. ये दस्तावेज न केवल आपकी आमदनी और टैक्स से जुड़ी तस्वीर साफ करते हैं, बल्कि आपकी टैक्स फाइलिंग को भी ज्यादा सटीक और आसान बनाते हैं.

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