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ITR-2 Excel Utility Changes : आईटीआर-2 फॉर्म की एक्सेल यूटीलिटी में इस बार क्या बड़े बदलाव किए गए हैं. (Image : Freepik)
ITR-2 Excel Utility Changes : इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का सीजन शुरू हो चुका है. अगर आप रिटर्न फाइल करने के लिए ITR-2 फॉर्म का इस्तेमाल करते हैं, तो पहले ये जानना बेहद जरूरी है कि इस बार इस फॉर्म की एक्सेल यूटीलिटी में क्या बड़े बदलाव किए गए हैं. असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR-2 फॉर्म की एक्सेल यूटीलिटी को अपडेट कर दिया है, जिसमें कई अहम बदलाव किए गए हैं. इनके बारे में जानना खासतौर पर उन टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी है, जो सैलरी के अलावा पूंजीगत लाभ, क्रिप्टो, डिविडेंड या प्रॉपर्टी जैसे स्रोतों से इनकम हासिल करते हैं और ITR-2 के जरिये रिटर्न फाइल करते हैं. आइए जानते हैं ITR-2 फॉर्म की एक्सेल यूटीलिटी में हुए बड़े अपडेट्स के बारे में.
शेयर बायबैक पर कैपिटल लॉस की रिपोर्टिंग
इस बार ITR-2 के शेड्यूल CG में नया रो जोड़ा गया है, जिसमें कंपनियों द्वारा किए गए शेयर बायबैक से हुए पूंजीगत नुकसान की जानकारी देनी है. यह बदलाव कंपनीज एक्ट 2013 के सेक्शन 68 के अनुसार किया गया है. अगर टैक्सपेयर ने किसी शेयर बायबैक से घाटा उठाया है, तो वह अब उसे रिटर्न में दिखा सकता है, बशर्ते इससे जुड़ी डिविडेंड इनकम को ‘Income from Other Sources’ में दिखाया गया हो.
डिविडेंड इनकम का नया कॉलम जोड़ा गया
ITR-2 फॉर्म में अब सेक्शन 2(22)(f) के तहत मिलने वाले डिविडेंड की अलग से जानकारी देने का प्रावधान किया गया है. यह वही डिविडेंड होता है जो किसी शेयर बायबैक के बदले में मिलता है. इस बदलाव से टैक्सपेयर्स को अपनी आय की सही और स्पष्ट रिपोर्टिंग में मदद मिलेगी.
रियल एस्टेट ट्रांसफर में खरीद और इंप्रूवमेंट की लागत
अगर आपने प्रॉपर्टी बेची है, तो अब आपको खरीद मूल्य और इंप्रूवमेंट की लागत (Cost of Improvement) को अलग-अलग बताना होगा. खासतौर पर 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की बिक्री के लिए. इससे इंडेक्सेशन लाभ को सही तरीके से लागू किया जा सकेगा.
एसेट और लायबिलिटी रिपोर्टिंग की लिमिट बढ़ी
पहले जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा होती थी, उन्हीं से सभी संपत्तियों और देनदारियों की जानकारी मांगी जाती थी. अब यह सीमा बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है. यानी जिनकी इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें अब अपने आईटीआर में सभी एसेट्स और लायबिलिटीज की डिटेल्स देनी होंगी.
ITR-2 में कैपिटल गेन के लिए दो अलग कॉलम
23 जुलाई 2024 से कैपिटल गेन टैक्स की दरों में बदलाव हुआ है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब ITR-2 में दो अलग कॉलम बनाए गए हैं. पहला, उन ट्रांजैक्शंस के लिए जो 23 जुलाई से पहले हुए हैं, और दूसरा उनके लिए जो इस तारीख के बाद हुए हैं. इससे टैक्स का सही कैलकुलेशन और रेट्स पर अमल करना आसान होगा.
TDS शेड्यूल में नया कॉलम
अब ITR-2 के टीडीएस शेड्यूल (TDS Schedule) में एक नया कॉलम जोड़ा गया है जिसमें यह बताना होगा कि किस सेक्शन के तहत आपके इनकम पर TDS काटा गया है. इससे रिटर्न प्रोसेसिंग में पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी.
इन अपडेट्स पर भी ध्यान दें
आईटीआर-2 यूटीलिटी में केवल यही बदलाव नहीं हुए हैं, बल्कि कुछ और भी ऐसे अपडेट्स हुए हैं, जिन पर ध्यान देना टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी है. अब 80C में डिडक्शन क्लेम करने के लिए संबंधित दस्तावेज की जानकारी जैसे पॉलिसी नंबर या डॉक्यूमेंट आईडी नंबर देना जरूरी होगा.
इसी तरह, अगर आपने होम लोन लिया है और उस पर सेक्शन 24(b) के तहत ब्याज की छूट क्लेम कर रहे हैं, तो अब लोन का डिटेल जैसे अकाउंट नंबर, मंजूरी की तारीख और लोन सैंक्शन्ड अमाउंट भी बताने होंगे.
HRA क्लेम करने वालों के लिए भी अब केवल अमाउंट बताना काफी नहीं होगा, बल्कि पूरी डिटेल देनी होगी. यह बदलाव पुराने ITR-2 की तुलना में बड़ा माना जा रहा है.
वैलिडेशन रूल्स में भी हुए बदलाव
इस साल इनकम टैक्स विभाग ने वैलिडेशन रूल्स में भी बड़ा अपडेट किया है. ITR-2 के लिए अब 724 कैटेगरी A रूल्स और 23 कैटेगरी D रूल्स तय किए गए हैं, जो कि पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हैं. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि फाइल किए गए रिटर्न ज्यादा सटीक और नियमों के अनुसार हों.
अगर आप इस साल ITR-2 फॉर्म भरने जा रहे हैं, तो इन बदलावों को समझना और उनके अनुसार तैयारी करना बेहद जरूरी है. इससे न केवल आपकी टैक्स फाइलिंग आसान होगी, बल्कि गलतियों का रिस्क भी कम रहेगा. हमेशा अपडेटेड एक्सेल यूटीलिटी का ही इस्तेमाल करें और समय पर अपने दस्तावेज तैयार रखें ताकि आपका रिटर्न बिना किसी दिक्कत के फाइल और प्रॉसेस हो सके.