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Centralised KYC: देश में केवाईसी प्रॉसेस को आसान और ट्रांसपेरेंट बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. (Image : Pixabay)
ACentralised KYC: देश में केवाईसी प्रॉसेस को आसान और ट्रांसपेरेंट बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. केंद्र सरकार और SEBI जल्द ही एक नया सेंट्रलाइज्ड केवाआई (CKYC) सिस्टम शुरू करने की तैयारी में हैं. इस नए सिस्टम के लागू होने से निवेशकों और ग्राहकों को अलग-अलग वित्तीय संस्थानों के साथ बार-बार KYC कराने की जरूरत नहीं होगी, जिससे समय और कागजी कामकाज दोनों की बचत होगी.
सरकार और SEBI की साझा पहल
SEBI प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने हाल में कहा था कि वित्त मंत्रालय और अन्य रेगुलेटरी संस्थाएं साथ मिलकर CKYC सिस्टम को बेहतर बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैं. वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी कर रही है. बजट 2025-26 में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेंट्रल केवाईसी रजिस्ट्री को नए रूप में शुरू करने की घोषणा की थी.
मौजूदा सिस्टम की दिक्कतें
इस समय निवेशकों को बैंकों, म्यूचुअल फंड, बीमा और पेंशन योजनाओं में निवेश करने के लिए अलग-अलग KYC प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इससे न केवल कागजी प्रक्रिया बढ़ती है, बल्कि कई बार एक ही व्यक्ति को कई बार अपनी पहचान प्रमाणित करनी पड़ती है. इससे निवेशकों को असुविधा होती है और वित्तीय सेवाओं के विकास में भी बाधा आती है.
कैसे काम करेगा CKYC
सेंट्रल केवाईसी रजिस्ट्री (CKYCR) एक डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा, जहां सभी KYC रिकॉर्ड एक साथ स्टोर होंगे. इसमें एक यूनिक केवाईसी आईडी दी जाएगी, जो आधार जैसे पहचान दस्तावेज़ों से जुड़ी होगी. इस सिस्टम के जरिए ग्राहक की जानकारी एक ही बार में सब वित्तीय संस्थानों के लिए उपलब्ध हो जाएगी. इससे अलग-अलग बार KYC कराने की जरूरत नहीं रहेगी.
नए सिस्टम में क्या होंगे बदलाव
नए CKYC सिस्टम में डाटा को अपलोड करने वाली संस्थाएं जब कोई ग्राहक की जानकारी अपलोड करेंगी, तो उसकी जांच उसी डॉक्यूमेंट जारी करने वाली एजेंसी से की जाएगी ताकि कोई गड़बड़ी न हो. इसके अलावा, AI आधारित फेस मैचिंग तकनीक का उपयोग करके यह पक्का किया जाएगा कि किसी व्यक्ति के दो KYC रिकॉर्ड न बनें.
निवेशकों को अपने KYC रिकॉर्ड देखने की छूट होगी और वे यह जान पाएंगे कि किस संस्था ने उनके डेटा को अपलोड, अपडेट या डाउनलोड किया है. साथ ही यह भी बताया जाएगा कि कोई गलती होने पर उन्हें किस संस्था से संपर्क करना है. इस पूरी प्रॉसेस के लिए अलग से कोई फीस नहीं ली जाएगी.
डिजिटल सुविधाएं और सुरक्षा
नया CKYC सिस्टम DigiLocker से भी जोड़ा जाएगा ताकि डिजिटल दस्तावेज़ों का सीधा और सुरक्षित इस्तेमाल हो सके. किसी भी जानकारी को शेयर करने से पहले OTP या फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से लोगों की इजाजत ली जाएगी.
KYC पर RBI के दिशा-निर्देश
RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार हाई रिस्क वाले ग्राहकों का KYC हर दो साल में, मॉडरेट रिस्क वालों का KYC हर आठ साल में और कम जोखिम वाले ग्राहकों का KYC हर दस साल में अपडेट करना जरूरी है. अगर KYC जानकारी में कोई बदलाव नहीं हुआ है, तो एक सेल्फ-डिक्लेरेशन से काम चल जाता है. पता बदलने की स्थिति में दो महीने के अंदर उसका वेरिफिकेशन करना जरूरी है.