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New Income Tax Bill 2025 : नया इनकम टैक्स बिल लागू होने पर टैक्स कानूनों में कई अहम बदलाव होंगे. (Image : Financial Express)
New Income Tax Bill 2025 Highlights : देश के इनकम टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव आने वाला है. सरकार ने मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह नया टैक्स कानून पारित करने की तैयारी कर ली है और इसके लिए नए इनकम टैक्स बिल 2025 को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बिल को 13 फरवरी 2025 को संसद में पेश किया जा सकता है. फिलहाल इस बिल का ड्राफ्ट सामने आ चुका है, जिसके बाद सबकी दिलचस्पी यह जानने में है कि इनकम टैक्स के इस नए बिल के कानून बनने के बाद कौन सी बातें बदल जाएंगी और क्या चीजें पहले जैसी ही रहेंगी. आइए जानते हैं इस बिल की 10 बड़ी बातें.
1. असेसमेंट इयर की जगह 'टैक्स इयर'
नए इनकम टैक्स बिल में असेसमेंट इयर (Assessment Year) की जगह टैक्स इयर (Tax Year) को जोड़े जाने का प्रस्ताव है. इसका उद्देश्य असेसमेंट इयर और पिछले वित्त वर्ष (Last Financial Year) के बीच होने वाले कनफ्यूजन को दूर करना है. अक्सर टैक्सपेयर यह समझने में गलती कर बैठते हैं कि उन्हें किस वित्त वर्ष के लिए आईटीआर फाइल करना है. टैक्स इयर का कॉन्सेप्ट इस कनफ्यूजन को खत्म करेगा, जिससे टैक्स फाइलिंग करने वालों को आसानी होगी.
2. वित्त वर्ष की जगह कैलेंडर इयर लागू नहीं
नए इनकम टैक्स बिल के आने के बाद भी फाइनेंशियल इयर (वित्त वर्ष) की कंसेप्ट में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है. नए टैक्स बिल में भी वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक ही रहेगा. पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि नए इनकम टैक्स बिल में फाइनेंशियल इयर यानी वित्त वर्ष की जगह कैलेंडर इयर (जनवरी से दिसंबर) को अपनाया जाएगा, लेकिन बिल का ड्राफ्ट आने के बाद साफ हो गया है कि ऐसा नहीं होने वाला है.
3. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन बदलेंगे
नया इनकम टैक्स बिल लागू होने पर पुराने इनकम टैक्स एक्ट की कई धाराओं में बदलाव आ जाएगा. मिसाल के तौर पर मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट में आईटीआर फाइलिंग से जुड़ा सेक्शन 139 और नई टैक्स रिजीम से जुड़ा सेक्शन 115BAC है. लेकिन नए बिल में इससे जुड़े सेक्शन्स में बदलाव हो सकता है और नए सेक्शन नंबर जोड़े जा सकते हैं.
4. रेजिडेंसी कानूनों में कोई बदलाव नहीं
नए इनकम टैक्स बिल में निवास (Residency) से जुड़े नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मौजूदा कानून की तरह ही इसमें भी रेजिडेंट्स को तीन कैटेगरी में बांटा गया है:
साधारण निवासी (Ordinarily Resident)
गैर-साधारण निवासी (Non-Ordinarily Resident)
अनिवासी (Non-Resident)
हालांकि कई जानकारों का मानना है कि इस मामले में नए कानून में कुछ संशोधन करने की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि मौजूदा कानूनों के तहत टैक्सपेयर की रेजिडेंसी उसके पिछले 10 साल के रिकॉर्ड के आधार पर तय होती है.
5. नया इनकम टैक्स बिल ज्यादा कंप्रिहेंसिव होगा
नए इनकम टैक्स बिल में 23 चैप्टर, 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल शामिल हैं. इसकी तुलना में मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 में चैप्टर तो 23 ही हैं, लेकिन इसमें सेक्शन केवल 298 और शेड्यूल 14 ही हैं. नए बिल में ज्यादा सेक्शन और शिड्यूल होने की वजह है कि इसे ज्यादा कंप्रिहेंसिव बनाने की कोशिश की गई है, ताकि टैक्स से जुड़े सारे प्रावधान एक ही एक्ट में शामिल किए जा सकें. हालांकि इससे टैक्सपेयर्स को कितना फायदा होगा, यह तो नया कानून लागू होने के बाद ही पता चलेगा.
6. टैक्सपेयर्स के लिए समझने में आसानी
नए इनकम टैक्स बिल में एक्सप्लानेशन और प्रोवाइजो (Explanations and Provisos) को हटा दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि टैक्सपेयर्स को कानूनी प्रावधानों को समझने में आसानी हो.
7. वेतन से जुड़े तमाम टैक्स सेविंग प्रावधान एक साथ
नए इनकम टैक्स बिल में वेतन से जुड़े प्रावधान, मसलन, स्टैंडर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट वगैरह को एक ही साथ रख दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए नियमों को पढ़ना और समझना आसान हो जाए.
8. TDS से जुड़े नियमों को आसान बनाया गया
नए इनकम टैक्स बिल में TDS से जुड़े सभी नियमों को एक ही सेक्शन में शामिल किया गया है. इसका उद्देश्य टैक्सपेयर्स और कंपनियों के लिए टीडीएस की कटौती और रिपोर्टिंग को आसान बनाना है. हालांकि इस बदलाव के कारण नया कानून लागू होने के बाद टैक्सपेयर्स और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए आईटीआर फाइलिंग और रिपोर्टिंग सिस्टम में बहुत सारे बदलाव करने की जरूर पड़ सकती है.
9. ITR फाइलिंग डेडलाइन, टैक्स स्लैब, कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव नहीं
नए इनकम टैक्स बिल में आईटीआर फाइलिंग की डेडलाइन, इनकम टैक्स स्लैब और कैपिटल गेन्स टैक्स से जुड़े नियमों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है. सरकार का मानना है कि टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स सर्टेन्टी (Tax Certainty) यानी कानूनी प्रावधानों की निश्चितता बनाए रखना जरूरी है.
10. नया इनकम टैक्स कानून इस तारीख से लागू होने की संभावना
नए इनकम टैक्स बिल को 1 अप्रैल 2026 से नए टैक्स कानून के तौर पर लागू किए जाने की संभावना है. अगर ऐसा हुआ तो नए बिल के प्रावधान वित्त वर्ष 2026-27 से लागू माने जाएंगे. इसका मतलब यह भी है कि मार्च 2025 और मार्च 2026 में खत्म होने वाले वित्त वर्षों के लिए टैक्स का कंप्यूटेशन मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट के तहत ही किया जाएगा.