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NPS Auto vs Active Choice : एनपीएस के ऑटो और एक्टिव च्वायस में आपके लिए क्या है सही, समझें दोनों के फायदे-नुकसान

NPS Auto vs Active Choice : एनपीएस के ऑटो और एक्टिव च्वॉयस की अलग-अलग खूबियां हैं. किस निवेशक के लिए कौन सा ऑप्शन सही है, यह उनकी उम्र, जानकारी और रिस्क लेने की क्षमता जैसी बातों पर निर्भर है.

NPS Auto vs Active Choice : एनपीएस के ऑटो और एक्टिव च्वॉयस की अलग-अलग खूबियां हैं. किस निवेशक के लिए कौन सा ऑप्शन सही है, यह उनकी उम्र, जानकारी और रिस्क लेने की क्षमता जैसी बातों पर निर्भर है.

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Viplav Rahi
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NPS Auto vs Active Choice, NPS investment options in Hindi

NPS Auto vs Active Choice : एनपीएस के ऑटो और एक्टिव च्वॉयस में आपके लिए कौन सा ऑप्शन सही है, यह समझना जरूरी है. (Financial Express)

NPS Auto vs Active Choice : नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा का इंतजाम करने का एक भरोसेमंद तरीका माना जाता है. इसमें निवेश करते समय आपको दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं: ऑटो च्वॉयस और एक्टिव च्वॉयस. दोनों विकल्पों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं. किसके लिए कौन सा ऑप्शन सही है, यह निवेशकों की उम्र, रिस्क लेने की क्षमता और निवेश से जुड़ी जानकारी जैसी बातों पर निर्भर है. साथ ही इस बारे में फैसला लेते समय यह भी देखना चाहिए कि आप अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए जरूरी वक्त दे सकते हैं या नहीं.

के-फिन टेक्नोलॉजीज (Kfin Technologies) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (NPS) राजेश खंडागले के मुताबिक “NPS युवा निवेशकों के लिए भविष्य सुरक्षित करने का बेहतरीन जरिया है. इसमें ऑटो च्वॉयस और एक्टिव च्वॉयस दोनों ही विकल्प मिलते हैं. एक्टिव च्वॉयस से निवेशक को कंट्रोल मिलता है, वहीं ऑटो च्वॉयस में बढ़ती उम्र के साथ रिस्क कम होता रहता है.” इस मसले पर आगे बढ़ने से पहले डिटेल में समझ लेते हैं कि NPS के ऑटो और एक्टिव च्वॉयस का मतलब क्या है.

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NPS का एक्टिव च्वॉयस ऑप्शन क्या है?

एनपीएस में एक्टिव च्वॉयस के तहत निवेशकों को खुद तय करना होता है कि उनके पैसों को चार तरह के एसेट क्लास में कैसे बांटना है. ये एसेट क्लास हैं - इक्विटी (E), कॉरपोरेट डेट (C), गवर्नमेंट बॉन्ड्स (G), और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (A). इनके जरिये इक्विटी में मैक्सिमम 75% तक निवेश किया जा सकता है, जो 50 साल की उम्र के बाद हर साल 2.5% घट रहता है. वहीं, A कैटेगरी में अधिकतम 5% निवेश की इजाजत होती है.

यह ऑप्शन उन लोगों के लिए बेहतर है जिन्हें बाजार की समझ है और जो अपने निवेश पर खुद नियंत्रण रखना चाहते हैं.

NPS के एक्टिव च्वॉयस ऑप्शन के फायदे

इसमें इनवेस्टमेंट का कंट्रोल निवेशक के हाथ में रहता है. अगर आप बाजार की चाल को समझते हैं, तो एक्टिव च्वॉयस से बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है. आप अपनी पसंद के पेंशन फंड मैनेजर और स्कीम भी चुन सकते हैं.

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NPS के एक्टिव च्वॉयस से जुड़ी चुनौतियां और रिस्क 

NPS का एक्टिव च्वॉयस ऑप्शन चुनने वालों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें अपना पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए पूरा समय देना होगा. इसके अलावा उन्हें बाजार के रुझानों की जानकारी और समझ होना भी जरूरी है. इसके अलावा अगर आप एक्टिव च्वॉयस के तहत इक्विटी में ज्यादा निवेश करते हैं, तो आपके पोर्टफोलियो पर मार्केट से जुड़ी उथल-पुथल और रिस्क का ज्यादा असर पड़ने की संभावना भी रहती है. 

NPS का ऑटो च्वॉयस ऑप्शन क्या है?

NPS का ऑटो च्वॉयस ऑप्शन एक लाइफसायकल आधारित इनवेस्टमेंटस्ट्रैटजी है. इसमें निवेशक की उम्र के हिसाब से इक्विटी का हिस्सा धीरे-धीरे घटता है, जिससे रिटायरमेंट के नजदीक आते-आते जोखिम कम होता जाता है. यह विकल्प उन लोगों के लिए सही है जो बाजार की ज्यादा जानकारी नहीं रखते या अपने निवेश को मैनेज करने के लिए समय नहीं दे सकते.

ऑटो च्वॉयस में तीन तरह के ऑप्शन होते हैं : 
1. एग्रेसिव (LC75): 35 साल की उम्र तक 75% तक इक्विटी, फिर हर साल 4% की कटौती
2. मॉडरेट (LC50): 35 साल तक 50% इक्विटी, फिर हर साल 2% की कटौती
3. कंजर्वेटिव (LC25): 35 साल तक 25% इक्विटी, फिर हर साल 1% की कटौती

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NPS ऑटो च्वॉयस के फायदे 

NPS ऑटो च्वॉयस एक आसान ऑप्शन है, जिसमें निवेशकों को खुद से कोई फैसला नहीं करना पड़ता. इक्विटी में एक्सपोजर उम्र के हिसाब से अपने आप तय होता है. बढ़ती उम्र के साथ-साथ इक्विटी एक्सपोजर घटने से रिटायरमेंट आते-आते रिस्क काफी कम हो जाता है.

NPS ऑटो च्वॉयस की सीमाएं

NPS ऑटो च्वॉयस में निवेशक का कंट्रोल काफी लिमिटेड होता है. इक्विटी में निवेश काफी सीमित होने के कारण हाई रिटर्न की गुंजाइश भी नहीं रहती. खास तौर पर युवा निवेशकों के लिए यह ऑप्शन कम रिटर्न देने वाला हो सकता है. साथ ही ऑटो च्वॉयस के तहत निवेश करते समय पहले से तय जिस फॉर्मूले को फॉलो किया जाता है, जरूरी नहीं कि वे हर निवेशक के इनवेस्टमेंट गोल से मेल खाते हों. दोनों ऑप्शन की खास बातों को आप यहां टेबल के तौर पर भी देख सकते हैं.

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एक्टिव च्वॉयस vs ऑटो च्वॉयस

पैरामीटर

एक्टिव च्वॉयस

ऑटो च्वॉयस

पोर्टफोलियो पर कंट्रोल

पूरी तरह निवेशक के हाथ में

उम्र के अनुसार खुद तय होता है

रिस्क लेने की क्षमता

हाई रिस्क लेने वालों के लिए सही

मीडियम या लो रिस्क वालों के लिए बेहतर

निवेश की समझ

बाजार की अच्छी समझ होनी चाहिए

कोई खास जानकारी जरूरी नहीं

कितना समय देना होगा

रेगुलर मॉनिटरिंग जरूरी

'सेट एंड फॉरगेट' से चलेगा काम 

फ्लेक्सिबिलिटी 

काफी फ्लेक्सिबल (Highly flexible)

सीमित विकल्प (Limited to lifecycle-based allocation)

संभावित रिटर्न

हाई रिस्क, हाई रिटर्न की संभावना

स्टेबल लेकिन तुलनात्मक रूप से कम रिटर्न

किसके लिए कौन सा विकल्प सही?

अगर आप युवा हैं, बाजार की समझ रखते हैं और निवेश को लेकर एक्टिव हैं यानी अपने पोर्टफोलियो के लिए वक्त निकाल सकते हैं, तो एक्टिव च्वॉयस आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. लेकिन अगर आपको निवेश की ज्यादा जानकारी नहीं है या इसके लिए ज्यादा समय नहीं दे सकते या रिस्क से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए ऑटो च्वॉयस का विकल्प बेहतर हो सकता है. एनपीएस में आप एक्टिव और ऑटो च्वॉयस के बीच किसी भी समय बदलाव कर सकते हैं. यह सुविधा निवेशकों को अपनी जरूरतों के हिसाब से रणनीति बदलने की आज़ादी देती है.

इसके अलावा राजेश खंडागले बताते हैं कि “PFRDA ने बैलेंस्ड लाइफ सायकल फंड (BLC) भी शुरू किया है जो ऑटो च्वॉयस जैसी सुविधा के साथ लंबी अवधि तक इक्विटी में निवेश की सुविधा देता है.”

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NPS में निवेश पर टैक्स छूट

NPS में निवेश का एक बड़ा लाभ इस पर मिलने वाली टैक्स छूट भी है. ओल्ड टैक्स रिजीम अपनाने वाले निवेशक इनकमक टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCD(1) के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट लेने के अलावा सेक्शन 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये के अतिरिक्त निवेश पर भी टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकते हैं. इस तरह वे कुल मिलाकर एक वित्त वर्ष में 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट ले सकते हैं. 

सही समय पर शुरू करें रेगुलर इनवेस्टमेंट

कुल मिलाकर एनपीएस रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए काफी फायदेमंद स्कीम है, बशर्ते आप इसमें सही समय पर निवेश शुरू कर दें. जैसा कि खंडागले कहते हैं, “रिटायरमेंट प्लानिंग आखिरी वक्त में उठाया गया कदम नहीं होना चाहिए.” तभी आप इसका पूरा फायदा उठा सकते हैं. फिर चाहे वो एक्टिव च्वायस का हाई रिटर्न ऑप्शन हो या ऑटो च्वॉयस का बैलेंस्ड विकल्प. दोनों में से जो भी विकल्प आपकी निवेश की आदत, रिस्क लेने की क्षमता और रिटायरमेंट के लक्ष्य से मेल खाता हो, उसे चुनकर रेगुलर इनवेस्टमेंट करने में ही समझदारी है.

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