/financial-express-hindi/media/media_files/2025/05/20/Qs3kzwWUvCnyzauYQGLF.jpg)
Old vs New Tax Regime : पुरानी बनाम नई टैक्स रिजीम का चुनाव केवल एक या दो फैक्टर पर आधारित नहीं होना चाहिए. (AI Generated Image / ChatGPT)
Old vs New Tax Regime: बजट 2025 में सरकार ने टैक्स स्ट्रक्चर को लेकर कई अहम बदलाव किए हैं, जिनका असर करोड़ों सैलरीड टैक्सपेयर्स पर पड़ेगा. अब सवाल यह उठता है कि पुरानी और नई टैक्स रिजीम में से कौन सी ज्यादा फायदेमंद है? खासतौर से जब आपके पास होम लोन जैसे टैक्स बेनिफिट दिलाने वाले इनवेस्टमेंट भी हों. लेकिन सही ऑप्शन चुनने के लिए केवल होम लोन पर ध्यान देना काफी नहीं है. इस बारे में कोई भी फैसला करते समय कई और बातों पर फोकस करना भी जरूरी है, जिन्हें हम यहां समझने की कोशिश करेंगे.
नई टैक्स रिजीम में आसान लेकिन सीमित छूट
नई टैक्स रिजीम को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि टैक्सपेयर्स को ज्यादा आसान और ट्रांसपेरेंट विकल्प मिले. बजट 2025 में सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम अपनाने वाले सैलरीड क्लास के लिए टैक्स-फ्री इनकम का दायरा, 75 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर, 12.75 लाख रुपये कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब अधिकतर लोगों को टैक्स बचाने के लिए ज्यादा प्लानिंग करने की जरूरत नहीं रह गई है. लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि न्यू टैक्स रिजीम में सेक्शन 80C, HRA, LTA, सेक्शन 80D और होम लोन की ब्याज पर मिलने वाली छूट जैसे कई महत्वपूर्ण टैक्स डिडक्शन्स नहीं मिलते.
ओल्ड रिजीम में मिलता है डिडक्शन्स का पूरा फायदा
अगर आपकी आय के अनुपात में डिडक्शन्स की मात्रा काफी ज्यादा है, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर साबित हो सकती है. खासकर उन लोगों के लिए, जिन्होंने होम लोन लिया है, सेक्शन 24(b) के तहत सालाना 2 लाख रुपये तक ब्याज की छूट मिलती है. इसके अलावा, होम लोन के मूलधन की अदायगी पर भी सेक्शन 80C के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है. अगर आप PPF, ELSS, NPS जैसी योजनाओं में निवेश करते हैं, तो ओल्ड टैक्स रिजीम का फायदा और बढ़ जाता है.
क्या सिर्फ होम लोन ही फैसला लेने का आधार होना चाहिए?
इस सवाल का कोई छोटा और सीधा जवाब नहीं हो सकता. अगर आपके दूसरे डिडक्शन काफी कम हैं और आप सिर्फ होम लोन इंटरेस्ट का ही फायदा ले रहे हैं, तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर हो सकती है. मिसाल के तौर पर अगर आप होम लोन पर साल में 3 लाख रुपये ब्याज भरते हैं, तो भी आपको मैक्सिमम डिडक्शन सिर्फ 2 लाख रुपये पर ही मिलेगा. अगर आपने सेक्शन 80C की 1.5 लाख रुपये की पूरी लिमिट का फायदा उठाने जितना निवेश नहीं किया है, तो ओल्ड टैक्स रिजीम का फायदा सीमित रह जाएगा. इस स्थिति में आप हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और दूसरे डिडक्शन्स को मिलाकर ही सही फैसला ले पाएंगे. लेकिन अगर आप 80C की पूरी लिमिट का फायदा उठाते हैं और NPS में निवेश करके 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट भी लेते हैं, तो हो सकता है इन सबको मिलाकर आपके लिए ओल्ड रिजीम ही बेहतर हो.
Also read : Step-Up SIP : सिर्फ 2500 रुपये से शुरू करके कैसे बनेगा 1 करोड़ का फंड, क्या है कैलकुलेशन
न्यू टैक्स रिजीम में मिलता है होम लोन पर टैक्स बेनिफिट?
एक आम गलतफहमी है कि नई टैक्स रिजीम में होम लोन पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता. अगर आपने अपना घर किराए पर दिया हुआ है, तो आप न्यू टैक्स रिजीम में भी सेक्शन 24(b) के तहत ब्याज पर कुछ टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं. हालांकि यह छूट केवल उतनी ही मिलेगी जितनी आपकी किराए से होने वाली सालाना आय है. मिसाल के तौर पर अगर आपको किराए से हर साल 1.5 लाख रुपये मिलते हैं और आप उस साल होम लोन पर 4 लाख रुपये ब्याज भरते हैं, तो आपको लॉस 2.5 लाख रुपये का होता है, लेकिन टैक्स छूट अधिकतम 1.5 लाख रुपये पर ही मिल पाएगी. बाकी 2.5 लाख रुपये की रकम भविष्य में उस प्रॉपर्टी को बेचते समय उसकी लागत में जोड़ी जा सकती है, जिससे कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत मिलती है.
आपके लिए ब्रेकइवन पॉइंट क्या है?
यह जानने के लिए कि आपके लिए कौन सी टैक्स रिजीम बेहतर है, एक "ब्रेकइवन पॉइंट" समझना जरूरी है. मिसाल के तौर पर, अगर आपकी सालाना आय 14 लाख रुपये है, तो ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स बचत का फायदा तभी मिलेगा जब आपके टैक्स डिडक्शन्स कुल आय के 41% के आसपास हों. वहीं, अगर आपकी आय 17 लाख रुपये है, तो 39% और 20 लाख रुपये आय पर 38% डिडक्शन होने पर ही ओल्ड रिजीम में न्यू रिजीम जितना फायदा मिल सकता है. इससे कम डिडक्शन्स की स्थिति में न्यू टैक्स रिजीम अधिक किफायती साबित हो सकती है. जो लोग हाउसिंग प्रॉपर्टी वर्क प्लेस के अलावा किसी और शहर में होने की वजह से या किसी और वैध कारण के चलते हाउसिंग लोन और HRA, दोनों पर टैक्स बेनिफिट ले रहे हैं, उनके लिए पुरानी रिजीम अब भी फायदेमंद होने की संभावना हो सकती है.
सिर्फ एक-दो फैक्टर के आधार पर फैसला न करें
पुरानी बनाम नई टैक्स रिजीम का चुनाव केवल एक या दो फैक्टर पर नहीं होना चाहिए. आपकी कुल आय, निवेश की आदतें और उपलब्ध टैक्स डिडक्शन्स को मिलाकर ही तय किया जा सकता है कि आपके लिए कौन सा ऑप्शन फायदेमंद रहेगा. अगर आप हर साल कई टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट करते हैं और होम लोन, PPF, NPS, और इंश्योरेंस जैसे डिडक्शन्स का भरपूर फायदा उठाते हैं, तो ओल्ड टैक्स रिजीम बेहतर हो सकती है. लेकिन अगर आप डिडक्शन्स के झंझट से बचना चाहते हैं और आपकी इनकम, 12 लाख रुपये की टैक्स फ्री लिमिट के आसपास है, तो न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा आसान और फायदेमंद साबित हो सकती है.