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Personal Loan : पर्सनल लोन एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले जरूर चेक करें ये 5 बातें, वरना बाद में पड़ेगा पछताना

Personal Loan : अगर आपने पर्सनल लोन एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले दस्तावेजों को ध्यान से नहीं पढ़ा और 5 जरूरी बातों को चेक नहीं किया तो बाद में पछताना पड़ सकता है.

Personal Loan : अगर आपने पर्सनल लोन एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले दस्तावेजों को ध्यान से नहीं पढ़ा और 5 जरूरी बातों को चेक नहीं किया तो बाद में पछताना पड़ सकता है.

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Viplav Rahi
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Personal Loan Tips: पर्सनल लोन एग्रीमेंट साइन करने से पहले जरूरी है फाइन प्रिंट पढ़ना (Image : Pixabay)

Personal Loan : कई बार हमें अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाती है — चाहे मेडिकल इमरजेंसी हो, शादी का खर्च या फिर किसी जरूरी ट्रिप का खर्चा. ऐसे में पर्सनल लोन एक आसान रास्ता लगता है. कुछ क्लिक या एक फॉर्म भरकर पैसा खाते में आ जाता है. लेकिन यही आसानी कई बार बाद में परेशानी का कारण भी बन जाती है, अगर आपने लोन एग्रीमेंट के कागजों को ध्यान से नहीं पढ़ा. बैंक और एनबीएफसी (NBFCs) लोन एग्रीमेंट में कई ऐसी शर्तें जोड़ देते हैं, जिन पर नजर न गई तो बाद में पछताना पड़ सकता है.

1. प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर चार्जेज

कई लोग सोचते हैं कि लोन जल्दी चुका देंगे तो ब्याज बच जाएगा. लेकिन हर बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन इसकी इजाजत नहीं देता. अगर आप लोन तय समय से पहले चुका देते हैं, तो आपको प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर चार्जेज देने पड़ सकते हैं, जो आम तौर पर बाकी बचे लोन अमाउंट का 2% से 5% तक होता है. इसलिए साइन करने से पहले यह जरूर समझ लें कि आपका बैंक या एनबीएफसी पर्सनल लोन जल्दी चुकाने पर कितने चार्जेज वसूलेगा.

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2. लेट पेमेंट और डिफॉल्ट पेनाल्टी 

एक भी ईएमआई छूटना आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है. लेकिन इसके साथ ही, बैंक लेट पेमेंट पर पेनाल्टी चार्ज भी वसूलते हैं. कुछ बैंक एक तय रकम लेते हैं, तो कुछ बाकी बचे ईएमआई अमाउंट का एक प्रतिशत. यही वजह है कि देर से भुगतान करने पर ब्याज से ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है. इससे बचने का सबसे आसान तरीका है — ऑटो डेबिट ऑर्डर लगाना, ताकि ईएमआई समय पर कट जाए.

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3. छिपे हुए प्रोसेसिंग और सर्विस चार्जेस 

बैंक जब लोन का ब्याज दर बताते हैं, तो वह तो साफ होता है, लेकिन बाकी के चार्जेस अक्सर ध्यान नहीं जाते. जैसे प्रोसेसिंग फीस, डॉक्युमेंटेशन फीस और जीएसटी आदि. यहां तक कि कुछ बैंक फोरक्लोजर लेटर या लोन स्टेटमेंट के लिए भी शुल्क वसूलते हैं. इसलिए हमेशा साइन करने से पहले बैंक से यह पूछें कि कुल मिलाकर आपकी जेब से कितनी रकम कटेगी. आखिरकार, जो लोन अमाउंट आपको मिलेगा, वह इन चार्जेस के बाद थोड़ी कम ही होगी.

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4. ब्याज दर में बदलाव से जुड़ी शर्तें 

अगर आपने फ्लोटिंग रेट वाला पर्सनल लोन लिया है, तो यह समझना जरूरी है कि ब्याज दर में बदलाव कब और कैसे होगा. कुछ बैंक हर तिमाही में रेट बदलते हैं, तो कुछ साल में एक बार. अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो आपकी ईएमआई भी बढ़ सकती है. इसलिए एग्रीमेंट में दिए गए इस क्लॉज को जरूर पढ़ें ताकि बाद में बढ़ी हुई किस्त देखकर झटका न लगे.

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5. बीमा और क्रॉस-सेलिंग की चाल

कई बैंक पर्सनल लोन के साथ एक बीमा पॉलिसी भी जोड़ देते हैं, जो बेरोजगारी, बीमारी या मृत्यु की स्थिति में लोन को कवर करती है. सुनने में यह सुरक्षा जैसा लगता है, लेकिन अक्सर यह बीमा वैकल्पिक होता है. कुछ बैंक इसे अनिवार्य बताकर जोड़ देते हैं. इसलिए साइन करने से पहले यह साफ कर लें कि क्या यह बीमा जरूरी है, और क्या उसकी प्रीमियम लागत वाजिब है.

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पर्सनल लोन एक सुविधाजनक विकल्प जरूर है, लेकिन इसके साथ जुड़ी हर शर्त को समझना बेहद जरूरी है. छोटी-छोटी बातों पर ध्यान न देने से बाद में भारी ब्याज, चार्जेस या अन्य पेनाल्टी झेलनी पड़ सकती है. इसलिए अगली बार जब भी आप किसी लोन डॉक्युमेंट पर साइन करें, तो जल्दबाजी न करें. हर पेज, हर क्लॉज को ध्यान से पढ़ें और समझें. आखिरकार, लोन से राहत तभी मिलेगी जब आप इसके हर नियम को समझदारी से निभाएंगे.

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