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Mutual Fund Investment : बाजार में गिरावट के दौरान कैसी हो निवेश की रणनीति, क्या अपने सारे स्मॉल कैप, मिड कैप फंड बेच दें?

Market Crash Investment Strategy : बाजार में गिरावट के दौरान स्मॉल कैप और म्यूचुअल फंड्स में किए गए निवेश का क्या करें?: बाजार की गिरावट के बीच म्यूचुल फंड इनवेस्टर्स को क्या अपने स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंड से बाहर निकल जाना चाहिए?

Market Crash Investment Strategy : बाजार में गिरावट के दौरान स्मॉल कैप और म्यूचुअल फंड्स में किए गए निवेश का क्या करें?: बाजार की गिरावट के बीच म्यूचुल फंड इनवेस्टर्स को क्या अपने स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंड से बाहर निकल जाना चाहिए?

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Viplav Rahi
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Warren Buffett on Market Crash

Market Crash Investment Strategy : बाजार में गिरावट के दौरान स्मॉल कैप और म्यूचुअल फंड्स में किए गए निवेश का क्या करें? (Image : Pixabay)

Mutual Fund Investment During Market Crash : पिछले कुछ महीनों से शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. पिछले 6 महीने में निफ्टी 50 इंडेक्स करीब 10% गिर चुका है, जबकि निफ्टी मिड-कैप 100 इंडेक्स 6 महीने में करीब 18% और स्मॉल-कैप इंडेक्स (NIFTY SMALLCAP 250) 21% से ज्यादा टूट चुका है. इस भारी गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है. उनके मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह गिरावट आगे भी जारी रहेगी? क्या मौजूदा माहौल में निवेशकों को अपने स्मॉल-कैप और मिड-कैप म्यूचुअल फंड से बाहर निकल जाना चाहिए?

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स्मॉल कैप, मिड कैप में इतनी गिरावट क्यों?

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पिछले कुछ वर्षों में स्मॉल-कैप और मिड-कैप स्टॉक्स ने जबरदस्त रिटर्न दिया था, लेकिन हाल की गिरावट ने निवेशकों की उम्मीदों को झटका दिया है. बाजार में गिरावट के कई कारण हैं, जिनमें वैल्युएशन अधिक होना और स्मॉल कैप व मिड कैप कंपनियों की कमाई में आई सुस्ती शामिल हैं. दरअसल, पिछले 5 साल में मिड-कैप कंपनियों की कमाई सालाना 14% की दर से बढ़ी, लेकिन उनके स्टॉक्स ने 28% का रिटर्न दिया. इसी तरह, स्मॉल-कैप कंपनियों की कमाई 21% सालाना बढ़ी, लेकिन उनके स्टॉक्स ने 27% का रिटर्न दिया. इसके बाद जब कमाई की ग्रोथ धीमी पड़ी तो इन स्टॉक्स की ऊंची कीमतें टिक नहीं पाईं. इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा पूंजी निकालना भी गिरावट की बड़ी वजह है.

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क्या आगे और गिरावट आ सकती है?

हालांकि बाजार में काफी गिरावट आ चुकी है, लेकिन मिड कैप और स्मॉल कैप के वैल्युएशन अब  भी महंगे बने हुए हैं. स्क्रीनर के आंकड़ों के मुताबिक निफ्टी 50 का मौजूदा पी-ई रेशियो 20 है, जो इसके ऐतिहासिक औसत 25 से कम है. वहीं, अभी निफ्टी स्मॉल कैप (Nifty Smallcap 250) इंडेक्स का पीई 27 जबकि निफ्टी मिड कैप 150 (Nifty Midcap 150) इंडेक्स का पीई 34 है.  जाहिर है कि बाजार के मौजूदा माहौल में मिड-कैप और स्मॉल-कैप इंडेक्स अभी भी ऊंचे वैल्युएशन पर ट्रेड कर रहे हैं. ऐसे में मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स में और गिरावट आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. अगर यह गिरावट लंबी खिंच गई, तो निवेशकों को और ज्यादा नुकसान हो सकता है.

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लिक्विडिटी की हो सकती है दिक्कत?

स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों में निवेश का एक बड़ा रिस्क उनकी लिक्विडिटी से जुड़ा होता है. जब बाजार अच्छा चलता है, तब इन स्टॉक्स में काफी निवेश आता है, लेकिन गिरावट के दौरान इन स्टॉक्स को बेचने में परेशानी होती है. लेकिन मिड-कैप और स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड्स के मैनेजर आम तौर पर बाजार के रुझान को देखते हुए अपने पोर्टफोलियो में सुधार कर लेते हैं. लिहाजा म्यूचुअल फंड्स के निवेशकों को आमतौर पर सीधे स्टॉक्स में निवेश करने वालों की तरह एग्जिट में परेशानी नहीं होती है. इसके अलावा SEBI ने फरवरी 2024 में नियम बना दिया था कि इन कैटेगरी के फंड्स को हर महीने स्ट्रेस टेस्ट से गुजरना होगा. इसकी वजह से भी म्यूचुअल फंड्स के निवेशक बेहतर स्थिति में रहेंगे.

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स्मॉल कैप, मिड कैप फंड्स का क्या करें?

अगर आपने अपने पोर्टफोलियो में जरूरत से ज्यादा स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंड रखे हैं, तो आपको इनमें अपना एक्सपोजर घटाने पर विचार करना चाहिए. बेहतर यही होगा कि इक्विटी पोर्टफोलियो में इन फंड्स की हिस्सेदारी 20-30% से अधिक न हो. इस पोर्टफोलियो में यह हिस्सा अधिक है, तो उसे लार्ज-कैप फंड्स में डायवर्ट किया जा सकता है. 

अगर आपको अगले 3 से 5 साल में पैसों की जरूरत पड़ने वाली है, तब तो मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश करने से बिलकुल बचना चाहिए. इन फंड्स में किए गए निवेश को कम से कम 7-8 साल का वक्त देना जरूरी है. मौजूदा माहौल में यह अवधि और बढ़ भी सकती है. जिन निवेशकों का टाइम होराइजन 5 साल से कम है, उन्हें ज्यादा बैलेंस्ड तरीके से निवेश करना चाहिए. इसके लिए फ्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप फंड्स पर विचार किया जा सकता है. 

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मौजूदा माहौल में क्या करें निवेशक?

बाजार में गिरावट होने पर निवेशकों का परेशान होना स्वाभाविक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें घबराकर अपने सारे मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड बेच देने चाहिए. निवेशकों को बैलेंस्ड स्ट्रैटजी पर अमल करते हुए अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन बनाए रखना चाहिए. अगर आपका इनवेस्टमेंट होराइजन 7 साल या उससे अधिक है और आप रिस्क लेने की क्षमता रखते हैं, तो मौजूदा गिरावट के दौरान भी निवेश बनाए रखना सही रणनीति हो सकती है. ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि SIP के जरिये कम से कम 7 साल तक निवेश करना, आमतौर पर फायदे का सौदा रहता है. लेकिन कमजोर रिस्क प्रोफाइल वाले शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स को मौजूदा माहौल में इक्विटी की बजाय दूसरे एसेट क्लास में निवेश पर विचार करना चाहिए.

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