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ITR Filing: हर टैक्सपेयर के लिए उन सवालों के जवाब जानना जरूरी है, जिनसे आयकर रिटर्न भरने में मदद मिलती है.
Income Tax FAQ, answers to know before ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न भरने की डेडलाइन बेहद करीब आ चुकी है. ऐसे में हर टैक्सपेयर के लिए उन सवालों के जवाब जानना जरूरी है, जिनसे न सिर्फ आयकर रिटर्न दाखिल करने में मदद मिलती है, बल्कि समझदारी से काम लें तो कानूनी तरीके से टैक्स का बोझ भी कम किया जा सकता है. ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब नीचे दिए गए हैं. अगर आप अपना आयकर रिटर्न किसी प्रोफेशनल / चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) की मदद से भरते हैं, तो भी यहां दी गई जानकारी अपनी टैक्स देनदारी और उसे कम करने के तरीकों को समझने में आपकी मदद कर सकती है.
किनके लिए जरूरी है इनकम टैक्स भरना?
जिन लोगों की कुल सालाना आय मूल छूट सीमा यानी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से अधिक है, उनके लिए इनकम टैक्स का भुगतान करना और इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी है. किसी व्यक्ति की बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट कितनी है, यह उसके उसके द्वारा चुनी गई टैक्स रिजीम पर निर्भर है.
बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट क्या है?
आयकर अधिनियम के तहत मूल छूट सीमा या बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट का मतलब है वह अधिकतम सालाना आमदनी, जिस पर इनकम टैक्स देना जरूरी नहीं है. पुरानी टैक्स रिजीम के तहत 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए यह लिमिट 2.5 लाख रुपये है.
सीनियर सिटिजन्स के लिए कितनी आय टैक्स फ्री है?
60 साल से ज्यादा उम्र वाले सीनियर सिटिजन या वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये है. वहीं 80 साल से अधिक उम्र वाले सुपर-सीनियर सिटिजन या अति-वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट 5 लाख रुपये है. न्यू टैक्स रिजीम के तहत सभी उम्र के टैक्सपेयर्स के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये है.
इनकम टैक्स पर मिलने वाली रिबेट क्या है?
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 87A के तहत इनकम टैक्स में रिबेट मिलती है. यह रिबेट उन्हें मिलती है, जिनकी सालाना नेट टैक्सेबल इनकम निर्धारित यानी तय सीमा से अधिक नहीं है.
सेक्शन 87A के तहत कितनी टैक्स रिबेट मिलती है?
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत अधिकतम 12,500 रुपये तक टैक्स रिबेट मिलती है, जबकि नई टैक्स रिजीम में 25,000 रुपये तक रिबेट दी जाती है. यानी जिन लोगों की कुल टैक्स देनदारी ओल्ड रिजीम में 12,500 रुपये और न्यू रिजीम में 25,000 रुपये बनती है, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. इसका मतलब ये हुआ कि पुरानी टैक्स रिजीम के तहत 5 लाख रुपये तक की नेट टैक्सेबल इनकम होने पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा. वहीं, नई टैक्स रिजीम चुनने वालों 7 लाख रुपये तक की नेट टैक्सेबल इनकम पर कोई आयकर नहीं भरना होगा.
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किन लोगों को इनकम टैक्स रिबेट का लाभ नहीं मिलता?
सेक्शन 87A के तहत इनकम टैक्स रिबेट का फायदा सिर्फ भारत में रहने वाले व्यक्तिगत करदाताओं (resident individual taxpayer) को ही मिलता है. नॉन रेजिडेंट इंडियन (NRI) और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को सेक्शन 87A के तहत टैक्स रिबेट नहीं मिलती है. यानी उनकी नेट टैक्सेबल इनकम भले ही ओल्ड टैक्स रिजीम में 5 लाख रुपये और न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये से ज्यादा न हो, फिर भी उन्हें इनकम टैक्स देना पड़ेगा.
इनकम टैक्स एक्ट के तहत कौन सी आय टैक्सेबल नहीं है?
इनकम टैक्स एक्ट के तहत आय के उन स्रोतों का जिक्र अलग से किया गया है, जिन पर आयकर नहीं लगता है. इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं:
प्रॉविडेंट फंड (EPF or PPF) खाते पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट.
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) खाते पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट.
खेती से होने वाली आय
इक्विटी में निवेश से एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये तक का कैपिटल गेन
क्या पेंशन पर टैक्स लगता है?
हां, पेंशन के तौर पर मिलने वाली रकम स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल है. यहां तक कि फेमिली पेंशन भी टैक्सेबल है.
क्या HUF को न्यू टैक्स रिजीम चुनने की छूट है?
हां, हिंदू अविभाजित परिवार (Hindu Undivided Family - HUF) को न्यू टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने की छूट है.
न्यू टैक्स रिजीम में कोई टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं?
हां, न्यू टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने वाले इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCD (2) के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. यह डिडक्शन तब लिया जा सकता है, जब एंप्लॉयर अपने कर्मचारी के खाते में NPS के लिए कंट्रीब्यूशन करता है. इस नियम के तहत वेतन के अधिकतम 10% के बराबर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. वहीं, सरकारी कर्मचारियों के लिए, इस नियम के तहत मैक्सिमम डिडक्शन की लिमिट सैलरी के 14% के बराबर है. वित्त वर्ष 2023-24 से वेतन या पेंशन से होने वाली इनकम पर 50 हजार रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी क्लेम किया जा सकता है.