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ITR Filing : इनकम टैक्स का नोटिस नहीं चाहिए तो अभी से रहें सावधान, रिटर्न भरते समय अक्सर होती हैं ये गलतियां

ITR Filing FY 2024-25: रिटर्न भरते समय छोटी सी चूक भी इनकम टैक्स का नोटिस मिलने की वजह बन सकती है. इन आम गलतियों को ठीक नहीं किया तो बाद में दिक्कत हो सकती है.

ITR Filing FY 2024-25: रिटर्न भरते समय छोटी सी चूक भी इनकम टैक्स का नोटिस मिलने की वजह बन सकती है. इन आम गलतियों को ठीक नहीं किया तो बाद में दिक्कत हो सकती है.

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Viplav Rahi
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ITR Filing 2025 : इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय हुई मामूली गलती भी बाद में परेशान कर सकती है. (AI Generated Image)

Income Tax Return Filing for FY 2024-25: इनकम टैक्स रिटर्न भरना हर साल की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसा करते समय होने वाली छोटी सी चूक भी आयकर विभाग से नोटिस मिलने की वजह बन सकती है. अक्सर लोग रिटर्न फाइल करते समय सोचते हैं कि मामूली इंटरेस्ट या फिर बहुत मामूली रकम के डिविडेंड को आईटीआर में भरना जरूरी नहीं है. या फिर वे आईटीआर फॉर्म में प्री-फिल्ड यानी पहले से भरे हुए आंकड़ों को ही फाइनल मानकर रिटर्न फाइल कर देते हैं. लेकिन ऐसा करना कई बार आगे चलकर बेवजह परेशानी खड़ी कर सकता है. सच्चाई ये है कि आईटीआर में छोटी से छोटी एंट्री को भी नजरअंदाज करना ठीक नहीं है. आइए देखते हैं वो कौन सी आम गलतियां हैं, जिनकी वजह से टैक्सपेयर को बाद में दिक्कत हो सकती है.

1. केवल प्री-फिल्ड डेटा पर भरोसा करना 

कई टैक्सपेयर्स सोचते हैं कि जो डेटा ITR फॉर्म में पहले से भरा हुआ है, वही फाइनल है. लेकिन ऐसा नहीं है. प्री-फिल्ड फॉर्म केवल शुरुआती जानकारी देता है, इसमें कई बार बैंक इंटरेस्ट, डिविडेंड या कैपिटल गेन की छोटी रकम की एंट्री छूट जाती है. इसलिए अगर आप आईटीआर फाइलिंग (Itr Filing) के समय इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं तो बाद में विभाग के सिस्टम में मिसमैच पकड़ में आ सकता है और आपको नोटिस मिल सकता है.

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2. AIS और Form 26AS को एक जैसा मानना

एक और आम गलती ये है कि लोग अपने Form 26AS और AIS को एक जैसा मान लेते हैं. जबकि हकीकत यह है कि AIS यानी एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) ज्यादा डिटेल्ड होता है. इसमें आपके बैंक इंटरेस्ट, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड रिडेम्पशन, स्टॉक सेल और विदेश से आए पैसों तक, तमाम बातों की एंट्री हो सकती है. इसलिए अगर आप केवल 26AS देखकर रिटर्न भर देते हैं और AIS को चेक नहीं करते, तो गलती होने की आशंका बढ़ जाती है.

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3. छोटी रकम को नजरअंदाज करना

मान लीजिए आपके AIS में 50 रुपये का डिविडेंड या 150 रुपये का बैंक इंटरेस्ट दिख रहा है. लेकिन यह रकम आपके आईटीआर फॉर्म के प्री-फिल्ड डेटा में शामिल नहीं है. ऐसा होने पर बहुत सारे टैक्सपेयर सोचते हैं कि इतनी छोटी रकम को रिपोर्ट करने की क्या जरूरत है. कुछ लोगों को ऐसा भी लग सकता है कि आयकर विभाग ने भी इस रकम को आईटीआर में भरने लायक नहीं माना, इसलिए इसे रिपोर्ट करने की कोई जरूरत नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है. जरूरी नहीं है कि AIS में दी गई आपकी आमदनी से जुड़ी हर जानकारी आईटीआर फॉर्म में पहले से भरी हुई मिले. लेकिन रिटर्न भरते समय ये जानकारी फॉर्म में दर्ज करना आपकी जिम्मेदारी है. टैक्स विभाग का सिस्टम रिटर्न भरने के बाद उसके आंकड़े AIS से मिलाकर देख सकता है और मिसमैच होने पर आगे चलकर आपने नाम इनकम टैक्स का नोटिस या टैक्स डिमांड जारी हो सकती है.

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4. AIS में गलत एंट्री को नजरअंदाज करना

कई बार AIS में गलत जानकारी भी दर्ज हो जाती है. जैसे कोई डिविडेंड जो असल में आपको मिला ही नहीं या किसी बैंक ने ब्याज की गलत रकम रिपोर्ट कर दी. अगर आपने AIS को चेक नहीं किया तो आपको ऐसी गलतियों का पता ही नहीं चलेगा. और अगर देखने के बाद भी आप चुप रह गए तो भी यह सही नहीं है. आपको कोई गलत एंट्री नजर आने पर AIS पोर्टल पर दिए गए फीडबैक ऑप्शन को इस्तेमाल करके उसे ठीक कराना चाहिए. इसके लिए आप फीडबैक ऑप्शन में “Amount incorrect” या “Not related to me” जैसे कारण चुनकर करेक्शन की मांग कर सकते हैं. ऐसा करते समय अपने दावे के समर्थन में जरूरी डॉक्यूमेंट अपलोड करने की सुविधा भी दी गई है. इसके अलावा अगर किसी बैंक या दूसरी संस्था ने गलत एंट्री की है, तो उनसे संपर्क करके अपनी रिपोर्टिंग सुधारने के लिए लिखित अनुरोध करना चाहिए. 

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5. आखिरी समय तक इंतजार करना

इनकम टैक्स भरने वाले बहुत सारे लोग एक बड़ी गलती ये करते हैं कि वे आखिरी समय में रिटर्न भरने बैठते हैं. ऐसे में कई बार उनके पास डॉक्यूमेंट मैच करने, AIS डाउनलोड करने या किसी गड़बड़ी को ठीक करवाने का समय नहीं बचता. इसके अलावा, PAN से जुड़ी गलतियां या बैंक द्वारा देर से की गई रिपोर्टिंग भी समस्या बढ़ा सकती है. इसलिए सलाह यही है कि रिटर्न फाइलिंग को समय से पहले शुरू करें, ताकि सारी एंट्री मिलाने और गलती मिलने पर उसे दुरुस्त करने का वक्त आपके पास रहे.

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सावधानी से निभाएं अपनी कानूनी जिम्मेदारी 

कुल मिलाकर देखें, तो इनकम टैक्स फाइलिंग (Income Tax Filing) सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह आपकी फाइनेंशियल और कानूनी जिम्मेदारी है. इसे ठीक से निभाने के लिए समय रहते आईटीआर फाइल करें. आईटीआर फॉर्म में प्री-फिल्ड डेटा की हर एंट्री को AIS और अपने बैंक और इनवेस्टमेंट के स्टेटमेंट से मिलाएं. चाहे रकम कितनी भी कम क्यों न हो, उसे रिपोर्ट जरूर करें. ऐसा करने से न केवल आप टैक्स विभाग के नोटिस या विवाद से बचेंगे बल्कि आगे किसी तरह की पेनल्टी देने की नौबत भी नहीं आएगी. इस साल इनकम टैक्स रिटर्न भरने की डेडलाइन पहले ही 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 की जा चुकी है, जो करीब आती जा रही है. इसलिए अब और देर करने की बजाय जल्द से जल्द अपना रिटर्न फाइल कर दें. लेकिन ऐसा करते समय हड़बड़ी न करें. बल्कि सावधानी से काम लें.

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