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Warren Buffett : आईपीओ में पैसा लगाने से पहले वॉरेन बफेट की ये 7 सीख जान लें, नहीं तो पछताना पड़ सकता है

IPO की चमक-धमक में जहां लोग जल्द अमीर बनने के सपने देखते हैं, वहीं वॉरेन बफेट की सोच सिखाती है - अनुशासन और समझदारी से ही सही फैसला होता है. उनके सात मंत्र IPO ही नहीं, ज़िंदगी में भी काम आते हैं.

IPO की चमक-धमक में जहां लोग जल्द अमीर बनने के सपने देखते हैं, वहीं वॉरेन बफेट की सोच सिखाती है - अनुशासन और समझदारी से ही सही फैसला होता है. उनके सात मंत्र IPO ही नहीं, ज़िंदगी में भी काम आते हैं.

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FE Hindi Desk
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आईपीओ में निवेश को लेकर वॉरेन बफे की कभी न बदलने वाली सलाह जो हर भारतीय निवेशक के लिए एक जरूरी सीख है. (Ai Image)

by Suhel Khan

जैसे ही कोई बड़ा IPO भारतीय शेयर बाजार में दस्तक देता है, पूरा माहौल गर्मा जाता है.
WhatsApp ग्रुप्स में निवेश की 'एक्सक्लूसिव टिप्स' उड़ने लगती हैं, Instagram पर Grey Market Premium की Reels वायरल होती हैं, और आस-पड़ोस के लोग दावे करने लगते हैं कि इस IPO से तो पैसा चुटकियों में दोगुना हो जाएगा.

हर तरफ एक तरह का FOMO यानी 'कुछ चूक न जाए' का डर बन जाता है.
ऐसे माहौल में खुद को रोकना वाकई मुश्किल होता है. लेकिन सोचिए, क्या दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेटट भी इस भीड़ में शामिल होते? बिल्कुल नहीं.
वो आराम से अपनी कोल्ड ड्रिंक पीते हुए मुस्कुराते हैं और कहते हैं –
"शेयर बाजार ऐसा खेल है, जिसमें हर गेंद पर शॉट मारना जरूरी नहीं. आप अपनी पसंद की गेंद का इंतजार कर सकते हैं."

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उनकी यही सोच उन लाखों भारतीय निवेशकों के लिए सबक है, जो हर बड़े IPO के वक्त जोश में होश खो बैठते हैं.

वॉरेन बफेटट की सोच से प्रेरित ये सात आसान मंत्र आपको IPO जैसे बाजार के जुनून भरे माहौल में घबराहट नहीं, बल्कि समझदारी और अनुशासन से आगे बढ़ना सिखाएंगे.

सपना नहीं, समझदारी से पैसा लगाइए

कुछ समय पहले की बात है. मेरा एक दोस्त अपने मोबाइल में पूरी तरह डूबा हुआ था. मैंने पूछा क्या कर रहे हो? बोला—"IPO में अप्लाई कर रहा हूं, अभी यही ट्रेंड है."
आपने भी किसी को ऐसा करते देखा होगा, या खुद भी किया होगा. लेकिन अगर वॉरेन बफेट हमारे बीच होते, तो वो सिर्फ सिर हिलाकर कहते—"गलती कर रहे हो."

बफेट की एक सीधी सलाह है: "कभी भी उस बिज़नेस में पैसा मत लगाइए जिसे आप समझ नहीं सकते."
और IPO को कोई लॉटरी टिकट समझ लेना सबसे बड़ी भूल है. असल में, ये वैसा है जैसे आप अपने मोहल्ले की किसी किराना दुकान में साझेदारी कर रहे हों.
अब सोचिए—क्या आप बिना जाने कि वो दुकान मुनाफे में है या नहीं, अपनी मेहनत की कमाई वहां लगा देंगे?

तो सवाल उठता है—फिर करें क्या?

भारतीय निवेशकों को चाहिए कि IPO में पैसा लगाने से पहले उस कंपनी की कहानी, उसका बिज़नेस मॉडल, और उसका ट्रैक रिकॉर्ड ठीक से समझें.

एक छोटा टेस्ट करें:

क्या आप उस कंपनी का बिज़नेस सिर्फ दो लाइन में समझा सकते हैं?

क्या आप उस कंपनी पर अगले 10 सालों तक भरोसा कर सकते हैं?

अगर जवाब "हां" है, तभी आगे बढ़िए. वरना थोड़ा रुकिए, और सोचिए—कहीं आप सिर्फ ट्रेंड के पीछे तो नहीं भाग रहे?

क्योंकि निवेश सिर्फ पैसों का खेल नहीं है. ये ज़िंदगी भर काम आने वाली सोच है.
चाहे कॉलेज में कोर्स चुनना हो या कोई नया साइड प्रोजेक्ट, हमेशा वही रास्ता चुनिए जो आप समझते हों. जो टिकाऊ हो, मजबूत हो.

हाइप को पीछे छोड़िए, और अपने फैसले तगड़े आधार पर लीजिए.

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IPO में ‘इनसाइडर ट्रैप’ से बचिए, वरना नुकसान तय है

सोचिए आप किसी ऐसे खिलाड़ी के साथ ताश खेल रहे हों, जिसे हर चाल पहले से पता हो—जीतना कितना मुश्किल होगा? IPO भी कुछ वैसा ही खेल है.
यही वजह है कि वॉरेन बफेट IPO से अक्सर दूरी बनाकर चलते हैं.

क्योंकि इस खेल में सारे 'एक्स्ट्रा कार्ड' पहले से प्रमोटर और शुरुआती निवेशकों के हाथ में होते हैं.
बफेट की एक मशहूर लाइन है:
"अगर आप पोकर खेल रहे हैं और ये समझ नहीं पा रहे कि सबसे बड़ा बेवकूफ़ कौन है — तो शायद वो आप ही हैं."

इन प्रमोटर्स ने उस कंपनी को सालों तक नज़दीक से देखा है. उन्हें हर नुक्स और हर ताकत का अंदाज़ा है.
आपको क्या मिलता है? एक चमचमाता ब्रॉशर, जो शायद किसी MBA ग्रैजुएट ने रात के तीन बजे तक बैठकर बनाया हो.

अब सवाल ये उठता है—अगर कंपनी सच में इतनी शानदार है, तो ये लोग अपनी हिस्सेदारी अभी क्यों बेच रहे हैं?

यहां ज़रूरी है कि थोड़ा शक करें.
IPO का Draft Red Herring Prospectus (DRHP) ज़रूर पढ़ें.
देखिए, प्रमोटर कहीं बड़ी मात्रा में अपने शेयर तो नहीं बेच रहे?
क्या पहले से जुड़े बड़े निवेशक चुपचाप निकल रहे हैं?

ये शक करना सिर्फ निवेश में ही नहीं, ज़िंदगी के हर फैसले में काम आता है.
चाहे कोई ऑफबीट इंटर्नशिप ऑफर हो या 'जल्दी अमीर बनो' स्कीम — हमेशा सोचिए कि असली फायदा किसका हो रहा है?

FOMO (Fear of Missing Out) के चक्कर में आकर गलत फैसला मत लीजिए.
थोड़ा रुकिए, सोचिए, पढ़िए—फिर ही पैसा लगाइए.

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हर नए IPO में न भागें, साबित विजेता का इंतजार करें

वॉरेन बफेट उन कंपनियों में निवेश करना पसंद करते हैं जो सालों से मुनाफा कमा रही हों और जिन पर लोगों का भरोसा हो — जैसे Apple.
लेकिन IPO? ये अक्सर उम्मीदों से भरे होते हैं, पर हकीकत में अभी तक किसी कड़ी परीक्षा से नहीं गुज़रे होते.

बफेट का एक गहरा मंत्र है:
"समय एक बेहतरीन बिज़नेस का दोस्त होता है, और औसत बिज़नेस का दुश्मन."
यानी जो कंपनी वाकई दमदार है, वह समय के साथ और मजबूत होती जाती है. और जो सिर्फ दिखावे वाली है, उसका सच जल्दी सामने आ जाता है.

तो फिर सिर्फ इसलिए किसी नए EV या फिनटेक IPO में पैसा क्यों लगाना, क्योंकि वो चर्चा में है?
याद कीजिए Paytm का हाल — IPO के बाद उसकी शेयर की चाल कितनों को झटका दे गई.

हाइप जल्दी खत्म हो जाती है. असली चीज़ होती है मुनाफे और भरोसे की लंबी पारी.
जब तक किसी कंपनी की कमाई, लीडरशिप और गवर्नेंस का ठोस ट्रैक रिकॉर्ड न दिखे — तब तक इंतज़ार कीजिए.

और ये सोच सिर्फ निवेश की नहीं है — ज़िंदगी की भी है.
चाहे करियर चुनना हो या पढ़ाई का कोर्स, ऐसा विकल्प चुनिए जिसमें टिकाव हो — न कि सिर्फ तात्कालिक चमक.

हर ट्रेंड के पीछे मत भागिए. वो बनिए जो क्वालिटी का इंतज़ार करता है — और जीत उसी की होती है.

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जो समझ में आता है, उसी में निवेश कीजिए

मान लीजिए आप किसी पार्टी में हैं, और कोई शख्स जोश में एक नए टेक IPO की तारीफ कर रहा है.
सुनने में भले ही दिलचस्प लगे, लेकिन क्या आप खुद उस कंपनी का बिज़नेस दो लाइन में समझा सकते हैं?

अगर नहीं, तो वॉरेन बफेट वहां एक पल भी नहीं रुकते.
उनका साफ कहना है:
"जो आप कर रहे हैं, अगर उसकी समझ नहीं है — तो असली जोखिम वहीं से शुरू होता है."

बफेट का एक ज़रूरी सिद्धांत है — “सिर्फ उन्हीं चीज़ों में निवेश करो जिन्हें तुम अच्छे से समझते हो.”
वो अपना ध्यान ऐसे बिज़नेस पर लगाते हैं जिन्हें वो रोज़मर्रा की ज़िंदगी में देखते हैं — जैसे कंज़्यूमर ब्रांड्स.

इसलिए जब IPO की बात हो, तो ऐसे सेक्टर या कंपनियों को चुनिए जिनकी प्रक्रिया, कमाई का मॉडल और बाज़ार की जरूरतें आपको मालूम हों.
सिर्फ इसलिए AI या ग्रीन टेक जैसी स्कीम में कूदना कि वो आजकल चर्चा में है — समझदारी नहीं है.

असल समझ ही सबसे बड़ा ताकत है. और ये सोच सिर्फ निवेश तक सीमित नहीं है.
जब आप करियर या कोई हॉबी चुनते हैं, तब भी वही करें जिसमें आपकी पकड़ हो, रुचि हो और आप बेहतर कर सकें.

एक सिंपल सवाल खुद से पूछिए:
"क्या मैं सच में इसे जानता हूं, या बस सबके पीछे चल रहा हूं?"

जो लोग अपनी समझ के दायरे में रहते हैं, वही लंबे समय में कामयाब होते हैं.

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ऐसे IPO में पैसा लगाइए, जिसमें दम हो - सिर्फ दिखावा नहीं

वॉरेन बफेट उन कंपनियों में ही निवेश करते हैं, जिनके पास एक मजबूत “मोअट” (moat) होता है — यानी ऐसा कोई ताकतवर फैक्टर जो उन्हें अपने कॉम्पिटिटर्स से अलग और आगे रखे.
ये मोअट कुछ भी हो सकता है — एक यूनिक ब्रांड, खास टेक्नोलॉजी, या ऐसा ग्राहक अनुभव जिसे कोई और आसानी से कॉपी न कर सके.

बफेट का कहना है:
"मैं ऐसे बिज़नेस ढूंढता हूं जो एक आर्थिक किले जैसे हों, जिनकी रक्षा ऐसा मोअट करता हो जिसे कोई पार नहीं कर सके."

अब बात करें IPO की — खासकर उन IPO की जो किसी ट्रेंडिंग सेक्टर जैसे EV, फिनटेक या ई-कॉमर्स से आते हैं —
अक्सर इनमें वो ताकत नहीं होती जो उन्हें लंबे समय तक टिकने लायक बनाए. मुकाबला इतना तेज़ होता है कि कई कंपनियाँ लॉन्च के कुछ सालों में ही दब जाती हैं.

भारतीय निवेशकों को खुद से दो सवाल ज़रूर पूछने चाहिए:

क्या इस कंपनी में कोई खास USP (खासियत) है?

क्या यह कंपनी सिर्फ एक आम ऑनलाइन दुकान है या कोई ऐसा ब्रांड है जिसका ग्राहक बेस वफादार और लगातार है?

यह सोच सिर्फ निवेश में ही नहीं, ज़िंदगी के फैसलों में भी बेहद काम की है.
चाहे कोई स्किल सीखनी हो, नौकरी का रास्ता चुनना हो या रिश्ता बनाना हो — ऐसा चुनाव कीजिए जो वक्त की कसौटी पर खरा उतरे.

हर नए चलन के पीछे मत भागिए.
ऐसा चुनिए जो टिकाऊ हो — फिर चाहे वो कोई कंपनी हो या आपकी खुद की करियर की दिशा.

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चमक-दमक पर मत जाइए, ओवरप्राइस्ड IPO से बचिए

ज्यादातर मामलों में IPO इस तरह से प्राइस किए जाते हैं कि बेचने वालों को फायदा हो — आपको नहीं.
बैंकर्स माहौल बनाते हैं, हाइप क्रिएट करते हैं ताकि कीमतें बढ़ जाएं — लेकिन जब आप खरीदते हैं, तो आपके लिए ज़्यादा कमाई की गुंजाइश नहीं बचती.

वॉरेन बफेट की एक लाइन यहां बिल्कुल फिट बैठती है:
"प्राइस वो है जो आप चुकाते हैं, वैल्यू वो है जो आपको मिलती है."
यानी, सिर्फ इसलिए मत खरीदिए कि सब खरीद रहे हैं — सोचिए क्या वाकई ये कीमत उस कंपनी के लायक है?

बफेट हमेशा कहते हैं: अच्छे बिज़नेस को सही कीमत पर खरीदो.
पहले दिन की लिस्टिंग फैंटेसी में मत बहिए. खुद से पूछिए —
अगर यही कंपनी आपके मोहल्ले की दुकान होती, तो क्या आप इतने पैसे में इसे खरीदना चाहेंगे? शायद नहीं.

IPO की वैल्यू तय करना आसान नहीं होता. इसलिए जल्दबाज़ी मत कीजिए.
बेहतर डील का इंतज़ार कीजिए.

क्योंकि याद रखिए — आप ये खेल एक दिन के लिए नहीं, लंबी रेस के लिए खेल रहे हैं.

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IPO के पीछे मत भागिए, वॉचलिस्ट बनाइए और धैर्य से खेलिए लंबी पारी

वॉरेन बफेट की सबसे बड़ी ताकत क्या है? उनका धैर्य.
वो कभी भी किसी IPO के पीछे नहीं भागते. वो बस शांति से देखते हैं, कंपनी को समझते हैं, और जब वक्त सही आता है — तब निवेश करते हैं.

हर नए IPO में अप्लाई करने के बजाय, आप भी एक Post-IPO वॉचलिस्ट बनाइए.
ऐसी कंपनियों को ट्रैक कीजिए जिन्हें आप समझते हैं — और जो अभी-अभी शेयर बाज़ार में लिस्ट हुई हैं.

IPO का शोर थमने दीजिए.
2–3 तिमाही की कमाई की रिपोर्ट आने दीजिए.
मैनेजमेंट, बिज़नेस ग्रोथ और गवर्नेंस को देखिए.
और अगर कंपनी तब भी दमदार लगे — तभी निवेश कीजिए.

क्योंकि शेयर बाजार की सबसे ताकतवर रणनीति है — धैर्य.

जैसा कि वॉरेन बफेट कहते हैं:
"शेयर बाजार वो जगह है जहाँ अधीर लोग अपना पैसा धैर्यवान लोगों को दे देते हैं."

तो अगली बार IPO आए, तो भीड़ के साथ मत दौड़िए.
सोचिए, समझिए, वॉचलिस्ट बनाइए — और सही मौके का इंतज़ार कीजिए.

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वॉरेन बफेट की सीख को बनाइए अपनी सुपरपावर

भारत में IPO का माहौल आजकल किसी T20 मैच जैसा है — तेज़, रोमांचक और अनिश्चित.
हर कोई बस यही सोच रहा होता है कि अगले ही ओवर में क्या पलट जाएगा.

लेकिन वॉरेन बफेट की रणनीति T20 नहीं, टेस्ट मैच वाली है.
वो कहते हैं — लंबी सोच रखो, सवाल पूछो, और असली वैल्यू का इंतज़ार करो.

ये बातें सिर्फ शेयर बाजार तक सीमित नहीं हैं.
चाहे करियर चुनना हो, पैसे को मैनेज करना हो या रिश्तों को निभाना हो — बफेट की ये सोच हर जगह काम आती है.

तो शुरुआत कहां से करें?

छोटे कदम उठाइए —

एक IPO वॉचलिस्ट बनाइए

किसी कंपनी का Draft Red Herring Prospectus (DRHP) पढ़िए

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अब ज़रा सोचिए —
बफेट की कौन-सी सीख आप अपनी जिंदगी में अपनाना चाहेंगे?
जो भी चुनें, याद रखिए — ये सलाह उस इंसान की है जिसकी नेटवर्थ 130 अरब डॉलर से ज़्यादा है, और जिसने दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में अपनी जगह बनाई है.

तो देर किस बात की — आज से ही सीखिए, सोचिए और समझदारी से आगे बढ़िए.

डिसक्लेमर: इस लेख का मकसद सिर्फ आपको कुछ रोचक चार्ट, डेटा और सोचने लायक विचार दिखाना है.
यह निवेश की सलाह नहीं है. अगर आप किसी निवेश पर विचार कर रहे हैं, तो अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना बहुत जरूरी है. यह लेख केवल शैक्षिक (educational) उद्देश्य के लिए है. 

सुहेल खान पिछले 10 सालों से शेयर बाजार के गहरे जानकार रहे हैं. इस दौरान उन्होंने मुंबई की एक बड़ी इक्विटी रिसर्च कंपनी में सेल्स और मार्केटिंग हेड के रूप में काम किया. इन दिनों वे भारत के टॉप निवेशकों की रणनीतियों और निवेशों का विश्लेषण करने में समय बिता रहे हैं.

डिस्क्लोजर: इस लेख में जिन शेयरों की बात की गई है, लेखक या उनके परिवार के पास उनमें कोई होल्डिंग नहीं है.

इसके अलावा, वेबसाइट के मैनेजर्स, कर्मचारी या लेखक - जिन कंपनियों या शेयरों का ज़िक्र इस लेख में किया गया है, उनमें से किसी में उनकी खरीद/बिक्री की पोजिशन हो सकती है या हो चुकी हो. इस लेख में व्यक्त विचार और डेटा की व्याख्या पूरी तरह से लेखक के निजी विचार हैं. निवेशक को खुद अपनी ज़रूरत, उद्देश्य और रिस्क को ध्यान में रखकर ही कोई निवेश निर्णय लेना चाहिए और जब ज़रूरत हो, तो स्वतंत्र सलाहकार से सलाह ज़रूर लें.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed for accuracy. 

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